नवरात्रि में नौ देवियों की पूजा होती है। नौ देवियों के नाम तो हो सकता है कि सभी जानते हों परंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि कौनसी देवी कौन है और क्या है उनकी पहचान। आओ जानते हैं इस संबंध में संक्षिप्त जानकारी।
1. शैलपुत्री : मां दुर्गा की प्रथम विभूति हैं मां शैलपुत्री। शैल का अर्थ पर्वत होता है। पर्वतराज हिमवान की पुत्री पार्वती को ही शैलपुत्री कहा जाता है। शैलपुत्री माता वृषभ पर विराजमान है। इनके दाएं हाथ में त्रिशूल तो बाएं हाथ में कमल रहता है इनका स्वरुप बहुत मनमोहक है।
2. ब्रह्मचारिणी : मां दुर्गा की दूसरी विभूति हैं मां ब्रह्मचारिणी। माता पार्वती ने ही जब तपस्या की तो वे ब्रह्मचारिणी कहलाई। सफेद वस्त्र पहने माता के एक हाथ में कमंडल तो दूसरे हाथ में जपमाला है। वे किसी की भी सवारी नहीं करती है।
3. चंद्रघंटा : मां दुर्गा की तीसरी विभूति हैं मां चंद्रघंटा। यही माता पर्वती अपने माथे पर अर्धचंद्र और हाथों में घंटा धारण करती है इसीलिए उन्हें चंद्रघंटा कहा गया है। अष्टभुजाधारी यह माता भी बाघ पर सवार है।
4. कुष्मांडा : मां दुर्गा की चौथी विभूति हैं मां कुष्मांडा। अपने उदर में ब्रह्मांड को समाए हुए है इसीलिए उन्हें कुष्मांडा कहा गया है। कुष्मांडा बाघ पर विराजमान है। कहते है जब सृष्टि में चारों ओर अंधकार था, तब इन्होंने ही अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी। जिसके कारण इनका नाम कूष्मांडा पड़ा।
5. स्कंदमाता : मां दुर्गा की पांचवीं विभूति हैं मां स्कंदमाता। कार्तिकेय को स्कंद भी कहा जाता है। स्कंद की माता होने के कारण माता को स्कंदमाता कहा जाता है। यह माता सिंह पर सवार है। मां की चार भुजाएं हैं दांयी तरफ की ऊपर वाली भुजा से मां अपनी गोद में स्कंद यानि कुमार कार्तिकेय को पकड़े हुए हैं, एवं नीचे वाली भुजा में कमल को धारण किया है तो वहीं बांयी ओर की ऊपर वाली भुजा से मां आशीर्वदा मुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में मां ने कमल के पुष्प को धारण किया है।
6. कात्यायनी : मां दुर्गा की छठी विभूति हैं मां कात्यायनी। कात्यायन ऋषि के यहां जन्म लेने के कारण देवी का नाम कात्यायनी है। शास्त्रों में माता षष्ठी देवी को भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री भी माना गया है। कात्यायनी ने ही महिषासुर का वध किया था इसलिए उन्हें महिषासुरमर्दिनी भी कहते हैं। यह माता सिंह पर सवार है।
7. कालरात्रि : मां दुर्गा की सातवीं विभूति हैं मां कालरात्रि। कालरात्रि गधे पर सवार है। मां के इस स्वरुप से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
8. महागौरी : मां दुर्गा की आठवीं विभूति हैं मां महागौरी। महागौरी वृषभ पर सवार है। इस स्वरुप में मां गौर वर्ण में हैं इसलिए इन्हें गौरी की संज्ञा दी गई है। मां महागौरी को अन्नपूर्णा भी कहा जाता है।
9. सिद्धिदात्री : मां दुर्गा की नौवीं विभूति हैं मां सिद्धिदात्री। सिद्धिदात्री माता कमल पर विराजमान है, जिन्हें कमलानयनी लक्ष्मी स्वरूपा कहा गया है। यह माता सिद्धि प्रदान करने वाली है इसीलिए इन्हें सिद्धिदात्री कहा जाता है। मां सिद्धिदात्री से ही शिव जी अर्द्धनारीश्वर कहलाए।