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आज के शुभ मुहूर्त

(अन्नकूट, गोवर्धन पूजा)
  • तिथि- कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा
  • शुभ समय- 6:00 से 9:11, 5:00 से 6:30 तक
  • जयंती/त्योहार/व्रत/मुहूर्त-अन्नकूट/श्रीगोवर्धन पूजा, हिंगोट युद्ध (गौतमपुरा)
  • राहुकाल- दोप. 12:00 से 1:30 बजे तक
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Shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि पर कलश और घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और विधि

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WD Feature Desk

, शनिवार, 20 सितम्बर 2025 (18:10 IST)
Shardiya navratri 2025: हिंदू कैलेंडर के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 22 सितंबर 2025 सोमवार से शारदीय नवरात्रि का महापर्व प्रारंभ होगा जो 1 अक्टूबर नवमी तिथि के दिन समाप्त होगा। 2 अक्टूबर को विजयादशमी यानी दशहरा है। नवरा‍त्रि के प्रथम दिन दुर्गा प्रतिमा स्थापना के पहले शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना और घट स्थापना होगी।
 
शारदीय नवरात्रि प्रतिपदा तिथि समय:-
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ- 22 सितम्बर 2025 को 01:23 एएम बजे से प्रारंभ। (मध्यरात्रि)
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 23 सितम्बर 2025 को 02:55 एएम बजे तक समाप्त। (मध्यरात्रि)
 
शारदीय नवरात्रि कलश और घट स्थापना शुभ मुहूर्त 2025:-
ब्रह्म मुहूर्त: प्रातकाल 04:35 से 05:22 तक।
अभिजीत मुहूर्त: दिन में 11:49 से दोपहर 12:38 तक।
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:15 से 03:03 तक।
गोधुली मुहूर्त: शाम 06:18 से 06:41 तक।
 
घट स्थापना कैसे की जाती है | Ghatasthapana kaise kare
  • घट अर्थात मिट्टी का घड़ा। इसे नवरात्रि के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त में ईशान कोण में स्थापित किया जाता है।
  • घट में पहले थोड़ी सी मिट्टी डालें और फिर जौ डालें। फिर एक परत मिट्टी की बिछा दें। एक बार फिर जौ डालें। फिर से मिट्टी की परत बिछाएं।
  • अब इस पर जल का छिड़काव करें। इस तरह उपर तक पात्र को मिट्टी से भर दें। अब इस पात्र को स्थापित करके पूजन करें।
  • जहां घट स्थापित करना है वहां एक पाट रखें और उस पर साफ लाल कपड़ा बिछाकर फिर उस पर घट स्थापित करें।
  • घट पर रोली या चंदन से स्वास्तिक बनाएं। घट के गले में मौली बांधे।
 
कलश स्थापना विधि | Kalash Sthapana Vidhi
  • एक तांबे के कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग पर नाड़ा बांधकर उसे उस मिट्टी के पात्र अर्थात घट के उपर रखें। 
  • अब कलश के ऊपर पत्ते रखें, पत्तों के बीच में नाड़ा बंधा हुआ नारियल लाल कपड़े में लपेटकर रखें।
  • अब घट और कलश की पूजा करें। फल, मिठाई, प्रसाद आदि घट के आसपास रखें। 
  • इसके बाद गणेश वंदना करें और फिर देवी का आह्वान करें।
  • अब देवी- देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करें कि 'हे समस्त देवी-देवता, आप सभी 9 दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों।'
  • आह्वान करने के बाद ये मानते हुए कि सभी देवतागण कलश में विराजमान हैं, कलश की पूजा करें।
  • कलश को टीका करें, अक्षत चढ़ाएं, फूलमाला अर्पित करें, इत्र अर्पित करें, नैवेद्य यानी फल-मिठाई आदि अर्पित करें।

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