Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
  • तिथि- कार्तिक शुक्ल सप्तमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-छठ पारणा, सहस्रार्जुन जयंती
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

Shardiya navmi: शारदीय नवरात्रि की नवमी को लेकर कंफ्यूजन करें दूर, कब है महानवमी, जानिए

हमें फॉलो करें Shardiya navmi: शारदीय नवरात्रि की नवमी को लेकर कंफ्यूजन करें दूर, कब है महानवमी, जानिए

WD Feature Desk

, सोमवार, 7 अक्टूबर 2024 (11:39 IST)
Navami kab hai 2024 mein: 3 अक्टूबर से नवरात्रि का पर्व प्रारंभ हुआ था जो 12 अक्टूबर को समाप्त होगा। शारदीय नवरात्रि 2024 में इस बार नवमी तिथि 11 और 12 अक्टूबर दोनों दिनों की बता रहे हैं। नवरात्रि की नवमी को महानवमी कहते हैं। इस दिन नौ दुर्गा पर्व का समापन होकर अगले दिन दशहरा का पर्व मनाया जाता है परंतु इस बार 12 अक्टूबर को नवमी और दशमी एक साथ है। कब करें नवमी की पूजा?
 
नवमी तिथि प्रारम्भ- 11 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12:06 बजे।
नवमी तिथि समाप्त- 12 अक्टूबर 2024 को सुबह 10:58 बजे।
उदयातिथि के अनुसार नवमी 12 अक्टूबर को रहेगी।
हमारे अनुसार नवमी की पूजा 11 अक्टूबर को करें और पारण 12 अक्टूबर को करें।
webdunia
  • 11 अक्टूबर 2024 को रहेगी अष्टमी और नवमी
  • उदयातिथि से 12 अक्टूबर 2024 को मनाएंगे नवमी, इसी दिन पारण
  • 12 अक्टूबर को सुबह 10:58 के बाद दशमी इसलिए दशहरा इसी दिन रहेगा

 
संधि पूजा करें : जिन लोगों को 11 अक्टूबर को नवमी की पूजा करना हैं वे कर सकते हैं और 12 अक्टूबर को नवरात्रि का पारण कर सकते हैं। 11 अक्टूबर को संधि पूजा का समय दोपहर 11:42 से दोपहर 12:30 के बीच। इस पूजा से अष्टमी और नवमी दोनों की ही पूजा हो जाएगी। जो लोग 12 अक्टूबर को नवमी पूजा करना चाहते हैं वे भी शुभ मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं। हमारे अनुसार 11 अक्टूबर को ही नवमी की पूजा की जाना चाहिए।
 
 
शारदीय नवरात्रि की 12 अक्टूबर 2024 की पूजा के शुभ मुहूर्त: 
सुबह की पूजा: प्रात: 05:06 से 06:20 के बीच। 
दोपहर की पूजा अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:45 से 12:32 के बीच।
शाम की पूजा: शाम 05:54 से 07:09 के बीच।
रात्रि की पूजा: अमृत काल में 06:28 से 08:15 के बीच। 
 
माता सिद्धिदात्री देवी : माता दुर्गा के 9 स्वरूपों में नौवें दिन नवमी की देवी है माता सिद्धिदात्री। नवरात्रि के नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। इसके बाद उनकी पौराणिक कथा या कहानी पढ़ी या सुनी जाती है। 
 
या देवी सर्वभू‍तेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

webdunia

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

इतने दुर्गुणों के बाद भी क्यों रावण को कहा जाता है महान