Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(प्रतिपदा तिथि)
  • तिथि- वैशाख कृष्ण प्रतिपदा
  • शुभ समय- 6:00 से 7:30 तक, 9:00 से 10:30 तक, 3:31 से 6:41 तक
  • जयंती/त्योहार/व्रत/मुहूर्त-सौर वैशाख मास प्रारंभ
  • राहुकाल-प्रात: 7:30 से 9:00 बजे तक
webdunia

Maa Chandraghanta : नवरात्रि की तीसरी देवी चंद्रघंटा के 4 विशेष मंत्र और प्रसाद

Advertiesment
हमें फॉलो करें Worship Maa Chandraghanta
Navratri Festival 2020
नवरात्रि की तृतीया को होती है देवी चंद्रघंटा की उपासना। मां चंद्रघंटा का रूप बहुत ही सौम्य है। मां को सुगंधप्रिय है। उनका वाहन सिंह है। उनके दस हाथ हैं। हर हाथ में अलग-अलग शस्त्र हैं। वे आसुरी शक्तियों से रक्षा करती हैं। मां चंद्रघंटा की आराधना करने वालों का अहंकार नष्ट होता है और उनको सौभाग्य, शांति और वैभव की प्राप्ति होती है।
 
नवरात्रि में तीसरे दिन चंद्रघंटा देवी की पूजा का महत्व है। देवी की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं। दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है और कई तरह की ध्वनियां सुनाईं देने लगती हैं। इन क्षणों में साधक को बहुत सावधान रहना चाहिए। इस देवी की आराधना से साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है।
 
माता का स्वरूप : माता चंद्रघंटा का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। माता के तीन नैत्र और दस हाथ हैं। इनके कर-कमल गदा, बाण, धनुष, त्रिशूल, खड्ग, खप्पर, चक्र और अस्त्र-शस्त्र हैं, अग्नि जैसे वर्ण वाली, ज्ञान से जगमगाने वाली दीप्तिमान देवी हैं चंद्रघंटा। ये शेर पर आरूढ़ है तथा युद्ध में लड़ने के लिए उन्मुख है। 
 
आराधना महत्व : मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के समस्त पाप व बाधाएं ख़त्म हो जाती हैं। मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक पराक्रमी व निर्भय हो जाता है। मां चंद्रघंटा प्रेतबाधा से भी रक्षा करती है, इनकी आराधना से वीरता-निर्भयता के साथ ही सौम्यता एवं विनम्रता का विकास होकर मुख, नेत्र तथा संपूर्ण काया का भी विकास होता है। मां चंद्रघंटा की उपासना से मनुष्य समस्त सांसारिक कष्टों से मुक्ति पाता है। तृतीया के दिन भगवती की पूजा में दूध की प्रधानता होनी चाहिए और पूजन के उपरांत वह दूध ब्राह्मण को देना उचित माना जाता है। इस दिन सिंदूर लगाने का भी रिवाज है। 
 
मंत्र:  
 
सरल मंत्र : ॐ एं ह्रीं क्लीं
 
माता चंद्रघंटा का उपासना मंत्र
 
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
 
महामंत्र -  
 
‘या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नसस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:‘ 
 
ये मां का महामंत्र है जिसे पूजा पाठ के दौरान जपना होता है। 
 
मां चंद्रघंटा का बीज मंत्र है- ‘ऐं श्रीं शक्तयै नम:’
 
किस रंग के पहनें कपड़े : देवी चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालुओं को भूरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए। मां चंद्रघंटा को अपना वाहन सिंह बहुत प्रिय है और इसीलिए गोल्डन रंग के कपड़े पहनना भी शुभ है।

क्या चढ़ाएं प्रसाद: इसके अलावा मां सफेद चीज का भोग जैसे दूध या खीर का भोग लगाना चाहिए। इसके अलावा माता चंद्रघंटा को शहद का भोग भी लगाया जाता है।


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Chandraghanta Mata Ki Aarti : जय मां चंद्रघंटा सुख धाम, पूर्ण कीजो मेरे काम