Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

नरेंद मोदी @70, इन 7 चुनौतियों के चक्रव्यूह को तोड़ना सबसे बड़ा चैलेंज!

अर्थव्यवस्था,बेरोजगारी और नौकरी के मुद्दे पर मोदी मैजिक को मिल रही चुनौती

हमें फॉलो करें नरेंद मोदी @70, इन 7 चुनौतियों के चक्रव्यूह को तोड़ना सबसे बड़ा चैलेंज!

विकास सिंह

, गुरुवार, 17 सितम्बर 2020 (15:00 IST)
अपने जीवन में शून्य से शिखर तक का सफर तय करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 70 वां जन्मदिन है। 2014 में प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने वाले नरेंद्र मोदी लगातार साढ़े छह साल से इस पद पर बने हुए है। अपने बड़े और साहसिक फैसलों के लिए पहचाने जाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद मोदी इस वक्त चुनौतियों के चक्रव्यूह से घिर हुए है। 

1-अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की चुनौती-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती पटरी से उतर चुकी अर्थव्यवस्था को एक बार फिर पटरी पर लाना है। कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के बाद जीडीपी औंधे मुंह गिर चुकी है। ट्रैक से उतर चुकी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार की ओर से 20 लाख करोड़ के कोरोना राहत पैकेज के साथ कई बूस्टर दिए गए लेकिन उसका कोई असर बाजार की सेहत पर नहीं पड़ा।

आज मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती राजकोषीय घाटे पर काबू पाना है। कोरोनाकाल में देश आर्थिक मंदी की चपेट में लगभग आ चुका है। आर्थिक मोर्चे पर देश में इस वक्त एक डर का माहौल है जिसके चलते मोदी सरकार पर विपक्ष के साथ ही अब लोग भी सवाल उठाने लगे हैं। आर्थिक मामलों के जानकार आर्थिक मंदी के पीछे सबसे बड़ा कारणण नोटबंदी को बताते है। वर्तमान में जब कोरोना महामारी लगातार बढ़ती जा रही है तब आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना एक बड़ी चुनौती बनने जा रहा है। 
 
2.बेरोजगारी और नौकरियों पर संकट–अर्थव्यवस्था में गिरावट और जीडीपी के निगेटिव में जाने का सीधा असर लोगों की नौकरियों पर पड़ा है। लॉकडाउन की सबसे अधिक मार असंगठित सेक्टर पर पड़ी है। एक अनुमान के मुताबिक अब तक इस सेक्टर में काम करने वाले 15 करोड़ से अधिक लोगों की नौकरी जा चुकी है और अब भी लोगों की नौकरियों पर खतरा बना हुआ है।

आर्थिक मंदी की आहट के चलते इस वक्त मोदी सरकार के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती देश में बढ़ती बेरोजगारी और कोरोनाकाल में लोगों की नौकरी पर आए संकट को दूर करना है। लॉकडाउन के चलते मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पूरी तरह बर्बाद हो चुका है,इस क्षेत्र में अब तक लाखों लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं। इसके साथ ही ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल समेत सभी प्रमुख सेक्टरों में गिरावट के चलते बड़ी संख्या में नौकरी जा चुकी है और बचे हुए लोगों की नौकरी पर तलवार लटक रही है। 
 
3-कोरोना महामारी से निपटने की की चुनौती – कोरोना महामारी जो दिन प्रतिदिन सुरसा की मुंह की भांति बढ़ती जा रही है उससे देश को बचाना, आज के दिन पीएम मोदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। अब देश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 51 लाख के आंकड़े को पार कर गई है। हर रोज मौतों और संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों ने मोदी सरकार के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है,जिससे पार पाना आसान काम नहीं है। लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं दिलाने और उनके समुचित इलाज का प्रबंध करना सरकार के सामने एक चुनौती बना हुआ है।
 
4-चीन के साथ सीमा विवाद शांति पूर्वक सुलझना–प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने तात्कालिक सबसे बड़ी चुनौती चीन के साथ सीमा विवाद को शांतिपूर्व सुलझाना है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कह चुके है कि इस साल चीनी सेना ने LAC पर दो बार घुसपैठ करने की कोशिश की है और अब भी चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। सर्दियों से पहले पूर्वी लद्दाख में लगातार दोनों ओर से सैन्य तैयारियों को बढ़ाया जाना स्थिति की गंभीरता की ओर इशारा कर रहा है।

आज चीन अपनी आक्रामक विस्तारवादी नीति पर चलते हुए लद्दाख से लेकर अरूणाचल प्रदेश तक भारत को चुनौती दे रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती देश की संप्रभुता की रक्षा करते हुए पूरे मसले को शांति पूर्वक हल निकालना है।   
5- राज्यों के चुनाव जीताने की चुनौती- 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लगातार दूसरी बार प्रचंड बहुमत से केंद्र की सत्ता में काबिज होने वाला भाजपा को उसके बाद महाराष्ट्र और झारखंड की सत्ता से बेदखल होना पड़ा। दो बड़े राज्यों में मिली हार के बाद अब पार्टी को दोबारा जीत की पटरी पर लाना पीएम मोदी के सामने बड़ी चुनौती है। ऐसे में जब आने वाले समय में बिहार,पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव होने है तब पूरी पार्टी की उम्मीदें फिर पीएम मोदी पर आकर टिक गई है।
 
6-सबका साथ–सबका विकास के साथ सबका विश्वास जीतना- सबका साथ–सबका विकास और सबका विश्वास के नारे के साथ दूसरी बार प्रधानमंत्री पद पर पहुंचने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के सा अपने दूसरे कार्यकाल के अपने पहले 2 भाषणों में कह चुके हैं कि सबका साथ और सबका विकास उनकी सरकार का पहला  लक्ष्य है। पीएम ने लोगों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि जिन्होंने उनको वोट नहीं दिया है वह भी उनके अपने हैं और सरकार का लक्ष्य बिना किसी भेदभाव के साथ सभी को एकसाथ लेकर आगे बढ़ने का है। 

नागरिकता संशोधन कानून और NRC को लेकर देश भर में जिस तरह विरोध प्रदर्शन हुए उसने सरकार के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। आज समाज के सभी वर्गो का विश्वास बनाए रखना ही सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। 
 
7-खुद की लोकप्रियता बनाए रखने की चुनौती– 2014 में प्रधानमंत्री बनने वाले नरेंद्र मोदी निर्विवाद देश के सबसे लोकप्रिय चेहरे बने हुए है लेकिन अब उसे चेहरे को रोजगार और अर्थव्यवस्था के मोर्चे से चुनौती मिलने लगी है।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी लोकप्रियता यानि मोदी मैैजिक को बनाए रखना है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम को लाइक से अधिक डिसलाइक मिलना और सोशल मीडिया पर उनके कार्यक्रम को पहले की तुलना में कम देखा जाने ने भाजपा के रणनीतिकारों को चौंका दिया है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस और राष्ट्रीय बेरोजगारी दिवस टॉप ट्रैंड करना भी यह बता रहा है कि आगे की राह उतनी आसान नहीं होने वाली है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

COVID-19 : न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्था में रिकॉर्ड 12% की गिरावट