Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

नोबेल पुरस्कार की नगरी में प्रेमचंद जयंती

हमें फॉलो करें नोबेल पुरस्कार की नगरी में प्रेमचंद जयंती
- माया भारती, ओस्लो, नार्वे से 


 
आज भारत में भले ही मुंशी प्रेमचन्द को उतने उत्साह से न मनाया जाता हो पर नोबेल शांति पुरस्कार की धरती ओस्लो, नार्वे में मुंशी प्रेमचंद जयंती पर उन्हें याद किया गया। 
 
प्रेमचंद पर अपना उत्साहित भाषण देते हुए प्रोफेसर रिपुसूदन सिंह ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने साहित्य सृजन करते हुए भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन, प्रोग्रेसिव आंदोलन और गांव के लोगों की समस्याओं को उजागर किया और एक आदर्श स्थापित किया। उन्होंने अपनी गरीबी के बावजूद लेखन से समझौता नहीं किया।
 
स्वीडन के भारतीय मूल के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक आशुतोष तिवारी ने बताया कि उन्हें आज भी प्रेमचंद की अनेक कहानियां याद है जो अभी भी गरीबों की  लिए प्रेरणा देती रहती हैं। 

webdunia
मुंशी प्रेमचंद को आज भी समसामयिक मानने वाले और कार्यक्रम के आयोजक और साहित्यकार सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने बताया कि ओस्लो में मुंशी प्रेमचन्द को हम हिंदी शिक्षा देते हुए शिक्षार्थियों को पढ़ाते हैं। विदेशों में प्रेमचंद की कहानियां लोकप्रिय हैं। 
 
इस अवसर पर दो विद्वानों प्रोफेसर आशुतोष तिवारी और प्रोफेसर आशुतोष तिवारी को स्पाइल पुरस्कार से सम्मानित किया गया और मैटेरियल साइंस और टेक्नोलॉजी पर स्कैन्डिनेवियायी पत्रिका 'एडवांस्ड मैटेरियल लेटर्स' का लोकार्पण किया गया जिसके सम्पादक प्रोफेसर आशुतोष तिवारी हैं।  
 
नार्वेजीय लेखकों में इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन, नूरी रोयसेग के अलावा राज कुमार, मीना मुरलीधरन, कैलाश राय, नोशीन इकबाल, इन्दर खोसला, संगीता शुक्ला, माया भारती और भारतीय दूतावास से एन पुनप्पन जी ने अपने विचार रखे और शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम का आयोजन भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम की ओर से किया गया था। 
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

राजनाथ की खरी-खरी के बाद बदलेगा पाक