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लता मंगेशकर पर कविता : लता एक मीठी नदी

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रेखा भाटिया

एक समुंदर पानी का
एक समुंदर रेत का
एक जमीन बंजर
एक पहाड़ विशाल
मध्य जीवन रिक्त है
तुम एक मीठी नदी
रहती मध्य में सभी के
ह्रदय में राज करती
प्यार के सुर गुनगुनाती
गाती सरगम सरस्वती के
घोलती अमृत जीवन में
आज जा रही हो पीछे
छोड़े जा रही निशान
मधुर सुरों के युगों तक
गाएगा जमाना याद कर
तुम्हें और गाना यही सुर
हे कंठ कोकिला उसके लिए
जो बुला लेता है सबको पास
उसे पता है वह तुम्हें भेजेगा फिर
नए सुरों के साथ इस धरा पर
सुधा बांटने सुर संगीत के
ओह, मीठी नदी रिक्तता भरने
लौटना जल्दी हम इंतजार करेंगे
अलविदा....।
 
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)



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