हिंदू धर्म एवं पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को होली भाई दूज (Holi Bhai Dooj Festival 2023) पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने का विधान है। इस दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं। जहां भाई बहन की रक्षा का वचन देता है, वहीं बहन भाई को तिलक करती है।
महत्व- प्रतिवर्ष होली-धुलेंड़ी के अगले दिन यानी चैत्र कृष्ण द्वितीया को भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। इस वर्ष भगवान चित्रगुप्त का पूजन बृहस्पतिवार, 9 मार्च 2023 को किया जाएगा। इस दिन भगवान चित्रगुप्त की कृपा पाने के लिए उनका पूजन करके उनके मंत्रों का जाप करना लाभदायी होता है। उनके मंत्रों का 108 बार जाप करना अतिशुभ माना गया है।
भगवान चित्रगुप्त पुण्य पाप के लेखक है, उनके हाथों में कर्म की किताब, कलम, दवात और करवाल है। वे कुशल लेखक हैं और उनकी लेखनी से अपने-अपने कर्मों के अनुसार सभी जीवों को न्याय मिलता है। आइए जानते हैं भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने के फायदे और उनके मंत्र भी-
होली के ठीक बाद आने वाली दूज के दिन यानी जिस तरह दीपावली के समय बहन भाई को तिलक लगाकर लंबी उम्र की कामना करती हैं, उसी तरह होली के अगले दिन भाई को तिलक लगाकर होली दूज का त्योहार मनाया जाता है। भाई दूज पर तिलक लगाने की परंपरा होती है।
शास्त्रों में मान्यता है कि होली के अगले दिन भाई को तिलक करने से उसे सभी संकटों से बचाया जा सकता है। अत: इस दि शुभ मुहूर्त में बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं तथा भाई बहन की रक्षा का वचन देता है। इसे भ्रातृ द्वितीय के नाम से भी जाना जाता है।
होली भाईदूज के मुहूर्त-Holi Bhai Dooj Muhurat
इस बार चैत्र मास की कृष्ण पक्ष द्वितीया तिथि का प्रारंभ- 08 मार्च 2023, बुधवार को शाम 07.43 मिनट से शुरू होगा तथा गुरुवार, 09 मार्च 2023 को रात्रि 8.54 मिनट पर द्वितीया तिथि समाप्त होगा।
1. आइए जानें चित्रगुप्त जी का प्रार्थना मंत्र-Holi Bhai Mantra
मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्।
लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।।
2. मंत्र- 'ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः'
भगवान चित्रगुप्त की पूजा से मिलेंगे ये फायदे-Chitragupta Puja ke Fayde
1. इस दिन 'श्री' लिखकर कार्य प्रारंभ करने से कार्य में बरकत बनी रहती है तथा व्यापार में उन्नती बरकरार रहती है।
2. चित्रगुप्त की पूजा करने से साहस, शौर्य, बल और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
3. चैत्र कृष्ण द्वितिया/ भैया दूज के दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा के साथ लेखनी, दवात तथा पुस्तकों की भी पूजा की जाती है। इससे विद्या की प्राप्ति होती है।
4. पुराणों के अनुसार चित्रगुप्त पूजा करने से विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
भगवान चित्रगुप्त की आरती-Lord Chitragupta Aarti
श्री विरंचि कुलभूषण, यमपुर के धामी।
पुण्य पाप के लेखक, चित्रगुप्त स्वामी॥
सीस मुकुट, कानों में कुण्डल अति सोहे।
श्यामवर्ण शशि सा मुख, सबके मन मोहे॥
भाल तिलक से भूषित, लोचन सुविशाला।
शंख सरीखी गरदन, गले में मणिमाला॥
अर्ध शरीर जनेऊ, लंबी भुजा छाजै।
कमल दवात हाथ में, पादुक परा भ्राजे॥
नृप सौदास अनर्थी, था अति बलवाला।
आपकी कृपा द्वारा, सुरपुर पग धारा॥
भक्ति भाव से यह आरती जो कोई गावे।
मनवांछित फल पाकर सद्गति पावे॥