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रविवार को दूर्वा गणपति व्रत : भगवान श्री गणेश को दूर्वा चढ़ाने से दूर होंगे सारे कष्ट, पढ़ें ये मंत्र

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4 अगस्त 2019, रविवार को श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इस दिन भगवान श्री गणेश को दूर्वा की 21 गांठ चढ़ाने की परंपरा है। इसे विनायकी चतुर्थी और दूर्वा गणपति व्रत कहते हैं।
 
 
विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश जी की आराधना बहुत मंगलकारी मानी जाती है। उनके भक्त विभिन्न प्रकार से उनकी आराधना करते हैं। अनेक श्लोक, स्तोत्र, मंत्र तथा जाप द्वारा गणेश जी को मनाया जाता है।


पुराणों के अनुसार श्रावण शुक्ल तृतीया के दिन दूर्वा गणपति व्रत किया जाता है। इस दिन श्री गणेश का पूजन कर उन्हें दूर्वा अर्पित करने का विशेष महत्व है, क्योंकि गणेश जी चतुर्थी तिथि के स्वामी हैं। इसी दिन विनायकी चतुर्थी व्रत भी है। अत: गणेश जी की पूजा करने का महत्व और अधिक बढ़ गया है।
 
 
इसके अलावा प्रतिदिन भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित की जानी चाहिए। अगर हर रोज न कर सकें तो भी घबराने की कोई बात नहीं, भगवान श्री गणेश के कुछ खास दिनों में जैसे बुधवार, विनायकी चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी एवं श्री गणेश चतुर्थी, गणेश जन्मो‍त्सव के दिन उन्हें विशेष तौर पर दूर्वा चढ़ाकर उनका पूजन-अर्चन करना चाहिए, ताकि हमारे जीवन के समस्त कष्टों का निवारण शीघ्र ही हो।
 
अपने जीवन की सभी संकटों से मुक्ति के लिए इस दिन शिव परिवार का पूजन करना लाभदायी माना गया है। इस दिन श्री गणेश का पूजन करते समय निम्न मंत्र बोलकर गणेश जी को दूर्वा अर्पण करना चाहिए।
 
 
श्री गणेश को दूर्वा अर्पण करने का मंत्र - 
- 'श्री गणेशाय नमः दूर्वांकुरान् समर्पयामि।' 
 
इस मंत्र के साथ श्री गणेशजी को दूर्वा चढ़ाने से जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति का मार्ग मिल जाता है और श्रीगणेश अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उन्हें सुखी जीवन और संपन्नता का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। पूजा के दौरान परिक्रमा करते समय गणेश जी की पीठ के दर्शन न करें, इस बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।

मान्यता है कि भगवान गणपति की पीठ पर दरिद्रता का वास होता है। इस वजह इनकी पीठ के दर्शन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही निरंतर 'ॐ गं गणपतयै नमः' या 'एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।' का जाप करना चाहिए तथा गणेश जी के सामने दीपक प्रज्ज्वलित अवश्य करना चाहिए। 
 

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