Ashadh Monthly Shivaratri : चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि कहते हैं। इस बार आषाढ़ मास मासिक शिवरात्रि पर दुर्लभ भद्रावास का योग रहेगा। इस दिन उपवास करने का दोगुना फल प्राप्त होगा। इस योग में उपावस रखकर भगवान शिव की पूजा बहुत फलदाई मानी गई है। इस दिन शिव पूजा से सौभाग्य की प्राप्ति होगी। इस बार यह तिथि 4 जुलाई 2024 गुरुवार को रहेगी।
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चतुर्दशी तिथि प्रारंभ : 4 जुलाई प्रात: 5 बजकर 44 मिनट पर शुरू।
चतुर्दशी तिथि समाप्त : 5 जुलाई को प्रात: 5 बजकर 57 मिनट पर समाप्त।
दुर्लभ भद्रावास : प्रात: 5 बजकर 54 मिनट से प्रारंभ होकर संध्या 5 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगा।
वृद्धि योग : 4 जुलाई सुबह 7 बजे से लेकर अगले दिन 5 जुलाई को 5 बजकर 14 मिनट तक वृद्धि योग रहेगा।
मृगशिरा नक्षत्र : इस दिन मृगशिरा रहेगा जो कि शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना गया है।
अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11 बजकर 58 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त है। इस समय को मंगलवारी और शुभ कार्य के लिए उत्तम माना गया है।
शिव की पूजा :
1. व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है।
2. इस दिन प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें।
3. उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित कर उनका जलाभिषेक करें।
4. फिर शिवलिंग पर दूध, फूल, धतूरा आदि चढ़ाएं। मंत्रोच्चार सहित शिव को सुपारी, पंच अमृत, नारियल एवं बेल की पत्तियां चढ़ाएं। माता पार्वती जी को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं
5. इसके बाद उनके समक्ष धूप, तिल के तेल का दीप और अगरबत्ती जलाएं।
6. इसके बाद ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
7. पूजा के अंत में शिव चालीसा और शिव आरती का पाठ करें।
8. पूजा समाप्त होते ही प्रसाद का वितरण करें।
9. शिव पूजा के बाद मासिक शिवरात्री व्रत की कथा सुननी आवश्यक है।
10. व्रत करने वाले को दिन में एक बार भोजन करना चाहिए।
11. दिन में दो बार (सुबह और सायं) भगवान शिव की प्रार्थना करें।