Dhoomvati Jayanti 2023: हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मां धूमावती का प्रकटोत्सव या जयंती मनाई जाती है। वर्ष 2023 में यह पर्व 27 मई, दिन शनिवार को मनाया जा रहा है।
मां धूमावती 10 महाविद्याओं में से एक सातवीं शक्ति हैं, जिसे उग्र स्वरूप में जाना जाता है। देवी पार्वती का एक अत्यंत उग्र रूप जिसे ही धूमावती के नाम से जाना जाता है। इस देवी की साधना से उनके भक्तों को बड़ी से बड़ी बाधाओं से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती है तथा सभी दुखों का नाश होता है।
आइए जानते हैं माता धूमावती के पूजन के बारे में खास जानकारी-
धूमावती जयंती पर रुद्राक्ष की माला से 21, 51 या 108 बार इन मंत्रों का जाप करें। आइए जानें मंत्र-
देवी धूमावती के मंत्र : mata dhumavati mantra
- देवी का महामंत्र- धूं धूं धूमावती ठ: ठ
- 'ॐ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:'
- ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट्।।
- गायत्री मंत्र : ॐ धूमावत्यै विद्महे संहारिण्यै धीमहि तन्नो धूमा प्रचोदयात।
- तांत्रोक्त मंत्र : धूम्रा मतिव सतिव पूर्णात सा सायुग्मे। सौभाग्यदात्री सदैव करुणामयि:।।
मां धूमावती की उत्पत्ति कथा : mata dhumavati story
1. कथा : मां धूमावती की कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती को बहुत तेज भूख लगी। कुछ नहीं मिलने पर उन्होंने शिवजी से भोजन की मांग की। शिवजी कुछ समय के लिए इंतजार करने के लिए कहते हैं। परंतु मता पार्वती की भूख और तेज हो जाती है। अंत में भूख से व्याकुल माता भगवान शिव को ही निगल जाती है। भगवान शिव को निगलने के पश्चात माता की देह से धुंआ निकलने लगता है, तब माता की भूख शांत होती है। इसके बाद भगवान शिवजी अपनी माया के द्वारा पेट से बाहर आते हैं और माता से कहते हैं कि धूम से व्याप्त देह होने के कारण आपके इस स्वरूप का नाम धूमावती होगा।
यह भी कहा जाता है कि जैसे ही पार्वती भगवान शिव को निगल लेती हैं, उनका स्वरूप एक विधवा जैसा हो जाता है। इसके अलावा शिव के गले में मौजूद विष के असर से देवी पार्वती का पूरा शरीर धुंआ जैसा हो गया। उनका पूरी काया श्रृंगार विहीन हो गई। तब शिवजी ने अपनी माया से पार्वती को कहते हैं कि आपने मुझे निगलने के कारण अब आप विधवा हो गई है। जिस कारण से आपका एक नाम धूमावती भी होगा।
यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव ने उनसे अनुरोध किया कि 'मुझे बाहर निकालो', तो उन्होंने उगल कर उन्हें बाहर निकाल दिया...निकालने के बाद शिव ने उन्हें शाप दिया कि 'आज और अभी से तुम विधवा रूप में रहोगी'....
2. कथा : एक अन्य कथा के अनुसार जब सती ने पिता के यज्ञ में स्वेच्छा से स्वयं को जला कर भस्म कर दिया तो उनके जलते हुए शरीर से जो धुआं निकला, उससे धूमावती का जन्म हुआ। इसीलिए वे हमेशा उदास रहती हैं यानी धूमावती धुएं के रूप में सती का भौतिक स्वरूप है।
उपाय : mata dhumavati ke upay
1. धूमावती जयंती के दिन नीम की पत्तियों सहित घी का होम करने से लंबे समय से चला आ रहा ऋण या कर्ज नष्ट होता है।
2. राई में सेंधा नमक मिला कर होम करने से बड़े से बड़ा शत्रु भी समूल रूप से नष्ट हो जाता है।
3. जटामांसी और काली मिर्च से होम करने पर कालसर्प दोष तथा क्रूर ग्रह का दोष समाप्त होते हैं।
4. रक्तचंदन घिस कर शहद में मिलाकर, जौ से मिश्रित कर होम करें तो दुर्भाग्यशाली मनुष्य का भाग्य भी चमक उठता है।
5. मीठी रोटी व घी से होम करने पर बड़े से बड़ा संकट व बड़े से बड़ा रोग अतिशीघ्र नष्ट होता है।
6. केवल काली मिर्च से होम करने पर कारागार में फंसा व्यक्ति मुक्त हो जाता है।
7. गुड़ व गन्ने से होम करने पर गरीबी सदा के लिए दूर होती है।
नियम : Devi dhumavati ke niyam
- साधना करने से पहले इस व्रत के नियम जरूर जान लेना चाहिए।
- सुहागन महिलाओं को इनकी पूजा नहीं करना चाहिए।
- इस महाविद्या की सिद्धि के लिए तिल मिश्रित घी से होम किया जाता है।
- धूमावती महाविद्या के लिए यह भी जरूरी है कि व्यक्ति सात्विक और नियम संयम और सत्यनिष्ठा को पालन करने वाला लोभ-लालच से दूर रहें।
- शराब और मांस ग्रहण न करें।
पूजा विधि : mata dhumavati puja vidhi
- धूमावती जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ कपड़े पहनें।
- पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें।
- फिर जल, पुष्प, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत आदि सामग्री चढ़ाएं।
- तत्पश्चात धूप, दीप, फल तथा नैवैद्य आदि से मां का पूजन करें।
- मां धूमावती की कथा का श्रवण करें।
- पूजन के पश्चात अपनी मनोकमना पूर्ण करने के लिए मां से प्रार्थना करें।
- मान्यनातुसार मां धूमावती की कृपा से समस्त पापों का नाश होकर दुःख, दारिद्रय आदि दूर होकर मनोवांछित फल प्राप्त होता है।
- मां धूमावती दस महाविद्याओं में अंतिम विद्या है। अत: इनकी पूजा गुप्त नवरात्रि में विशेष तौर पर की जाती है।
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