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सुहागिनों का बहुत बड़ा व्रत है हरतालिका तीज, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा के 10 नियम

हमें फॉलो करें सुहागिनों का बहुत बड़ा व्रत है हरतालिका तीज, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा के 10 नियम
मां पार्वती को समर्पित अत्यंत ही शुभ और मंगलकारी पर्व है हरतालिका तीज। यह व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है। हरतालिका तीज व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है। इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए किया था। 
 
हरतालिका तीज व्रत करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
 
 
हरतालिका तीज 2018 के शुभ मुहूर्त 
 
2018 में हरतालिका तीज 12 सितंबर 2018, बुधवार को है
 
हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त : 06:08 से 08:35 तक
 
तृतीय तिथि आरंभ : 11 सितंबर 2018, मंगलवार 18:04 बजे।
 
तृतीया तिथि समाप्त : 12 सितंबर 2018, बुधवार 16:07 बजे।
 
प्रातःकाल अत्यंत शुभ सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त : 6:08:17 से 08:33:31 तक
 
अवधि : 2 घंटे 29 मिनट
 
 
हरतालिका तीज व्रत के नियम
 
1. हरतालिका तीज व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है। व्रत के बाद अगले दिन जल ग्रहण करने का विधान है।
 
2. हरतालिका तीज व्रत करने पर इसे छोड़ा नहीं जाता है। प्रत्येक वर्ष इस व्रत को विधि-विधान से करना चाहिए।
 
3. हरतालिका तीज व्रत के दिन रात्रि जागरण करना जरूरी है। रात में भजन-कीर्तन करना चाहिए।
 
4. हरतालिका तीज व्रत कुंवारी कन्या, सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। 
 
5. हरतालिका तीज प्रदोषकाल में किया जाता है। सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को प्रदोषकाल कहा जाता है। यह दिन और रात के मिलन का समय होता है।
 
6. हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाएं।
 
7. पूजा स्थल को फूलों से सजाकर एक चौकी रखें और उस चौकी पर केले के पत्ते रखकर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
 
8. इसके बाद देवताओं का आह्वान करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार पूजन करें।
 
9. सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी वस्तु रखकर माता पार्वती को चढ़ाना इस व्रत की मुख्य परंपरा है।
 
10. इसमें शिव जी को धोती और अंगोछा चढ़ाया जाता है। यह सुहाग सामग्री सास के चरण स्पर्श करने के बाद ब्राह्मणी और ब्राह्मण को दान देना चाहिए।
 
11.इस प्रकार पूजन के बाद कथा सुनें और रात्रि जागरण करें। आरती के बाद सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं व ककड़ी-हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें।


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