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कूर्म जयंती 2022 : भगवान विष्णु ने क्यों लिया था कच्छप अवतार, जानिए कथा

हमें फॉलो करें कूर्म जयंती 2022 : भगवान विष्णु ने क्यों लिया था कच्छप अवतार, जानिए कथा
, शनिवार, 14 मई 2022 (10:50 IST)
kurma jayanti 2022: प्रतिवर्ष वैशाख मास की पूर्णिमा को कूर्म जयंती, बुद्ध जयंती, गोरखनाथ जयंती और महर्षि भृगु की जयंती मनाई जाती है। इस बार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 15 मई रविवार के दिन कूर्म जयंती मनाई जाएगी। कूर्म का अर्थ होता है कछुआ। श्रीहरि विष्णु ने समुद्र मंथन के समय कच्छप अवतार लिया था। आओ जानते हैं कि क्यों लिया था उन्होंने कछुए का अवतार।
 
 
कच्छप अवतार की पौराणिक कथा (Legend of Kachhap Avatar) : दुर्वासा ऋषि ने अपना अपमान होने के कारण देवराज इन्द्र को ‘श्री’ (लक्ष्मी) से हीन हो जाने का शाप दे दिया। भगवान विष्णु ने इंद्र को शाप मुक्ति के लिए असुरों के साथ 'समुद्र मंथन' के लिए कहा और दैत्यों को अमृत का लालच दिया। तब देवों और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया।
 
देवताओं की ओर से इंद्र और असुरों की ओर से विरोचन प्रमुख ते। समुद्र मंथन के लिए सभी ने मिलकर मदरांचल पर्वत को मथानी एवं नागराज वासुकि को नेती बनाया। परंतु नीचे कोई आधार नहीं होने के कारण पर्वत समुद्र में डूबने लगा। यह देखकर भगवान विष्णु ने विशाल कछुए का रूप धारण करके समुद्र में उतरे और उन्होंने अपनी पीठ पर में मंदराचल पर्वत को रख लिया। इस तरह वे आधार बन गए। 
 
भगवान कच्‍छप की विशाल पीठ पर मंदराचल तेजी से घूमने लगा और इस प्रकार समुद्र मंथन संपन्न हुआ। समुद्र मंथन करने से एक-एक करके रत्न निकलने लगे। कुल 14 रत्न निकले। 14वां रत्न अमृत से भरा सोने का घड़ा था जिसके लिए देवता और असुरों में युद्ध प्रारंभ हो गया तब इन्हीं भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण करके देवता और असुरों को अमृत बांटने का कार्य किया था।

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