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13 अगस्त कल्कि जयंती : जानिए महत्व और खास बातें

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श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान कल्कि की जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष यह 13 अगस्त, शुक्रवार को मनाई जा रही है। भगवान विष्णु का यह पहला अवतार है, जिसकी जयंती जन्म से पहले मनाई जाती रही है। श्रीमद्भागवत कि गणना के अनुसार यह लगभग 450 वर्ष पश्चात् होगा।
 
जानिए खास बातें- 
 
1. कलियुग में भगवान विष्णु कल्कि के रूप में जन्म लेंगे। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान कल्कि कलियुग में फैले द्वेष का विनाश करके धर्म की स्थापना के लिए ही कल्कि अवतार लेंगे। 
 
2. कल्कि अवतार कलियुग व सतयुग के संधिकाल में होगा। यह अवतार 64 कलाओं से युक्त होगा।  
 
3. पुराणों के अनुसार उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद जिले के शंभल नामक स्थान पर विष्णुयशा नामक तपस्वी ब्राह्मण के घर भगवान कल्कि पुत्र रूप में जन्म लेंगे।  
 
4. कल्कि देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होकर संसार से पापियों का विनाश करेंगे और धर्म की पुन:स्थापना करेंगे और पृथ्वी का उद्धार करेंगे। ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंतिम चरण में इनका जन्म होगा। 
 
5. डूंगरपुर (राजस्थान) जिले के साबला गांव में एक हरि मंदिर है, जहां विष्णु के भावी अवतार कल्कि की मूर्तियां स्थापित हैं और रोजाना उनकी पूजा-अर्चना भी होती है। 
 
6. कल्कि जयंती के दिन प्रातःकाल स्‍नानादि कार्यों से निवृत्त होकर व्रत का संकल्‍प लेने के पश्चात पूजा स्थान को साफ-स्वच्छ करके गंगा जल से भगवान कल्कि की प्रतिमूर्ति का अभिषेक करके एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्‍थापित करें। 
 
7. दीप, धूप, पुष्‍प, अगरबत्‍ती और नैवेद्य आदि की मदद से पूजा करें। पूजा के उपरांत भगवान कल्कि को याद करते हुए संसार के सभी दुखों के विनाश की कामना करके सबसे अंत में प्रसाद वितरित करें। 
 
8. उनका मंत्र- 'जय कल्कि जय जगत्पते पद्मापति जय रमापते' और उनका बीजमंत्र 'जय श्री कल्कि जय माता की' एक-एक माला का जाप यदि प्रतिदिन किया जाए तो आप स्वत: महसूस करेंगे कि वे आपके मानस में प्रकट होकर आपको परेशानियों से निकालने का रास्ता बता रहे हैं और आपके परिवार की रक्षा कर रहे हैं।
 
9. शास्त्रों के अनुसार जब धर्म के प्रति आस्था, सत्य, दया, क्षमा आदि का अभाव होगा और प्रकृति असंतुलित होगी, अतिवृष्टि से हानि, स्त्रियों में शालीनता ये सब परिस्थितियां बढ़ जाएंगी तब भगवान कल्कि के प्रकट होने का समय नजदीक रहेगा। 
 
10. कल्कि जयंती पूजन के मुहूर्त- शुक्ल षष्ठी तिथि का प्रारंभ शुक्रवार को दोपहर 01.42 मिनट से शुरू होकर 14 अगस्त 2021, शनिवार, सुबह 11.50 मिनट पर षष्ठी तिथि का समापन होगा। इस वर्ष कल्कि जयंती शुक्रवार, 13 अगस्त 2021 की शाम 04.24 मिनट से शाम 07.02 मिनट तक पूजन मुहूर्त शुभ रहेगा। 

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।


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