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विनायक चतुर्थी आज, ऐसे करें भगवान गणेश की पूजा, पूरी होगी हर मनोकामना, जानें पूजन का शुभ समय

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WD Feature Desk

, शनिवार, 28 जून 2025 (12:26 IST)
Vinayak Chaturthi 2025: हिन्दू पंचांग कैलेंडर के अनुसार आज, 28 जून 2025, दिन शनिवार को आषाढ़ मास की विनायक चतुर्थी मनाई जा रही है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित है और हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। धार्मिक मान्यतानुसार इस दिन विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, संकट दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।ALSO READ: sawan somwar 2025: सावन का पहला सोमवार कब है? इस दिन क्या करें, पूजा का शुभ मुहूर्त
 
विनायक चतुर्थी का महत्व: भगवान श्री गणेश को प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पहले गणेश जी की पूजा करने का विधान है ताकि कार्य निर्विघ्न संपन्न हो। विनायक चतुर्थी का व्रत रखने और पूजा करने से जीवन की समस्त बाधाएं दूर होती हैं, क्योंकि गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है, इसलिए उनकी पूजा से जीवन की सभी बाधाएं और मुश्किलें दूर होती हैं। गणेश जी बुद्धि और ज्ञान के देवता हैं, उनकी उपासना से एकाग्रता बढ़ती है और ज्ञान की प्राप्ति होती है। यह व्रत घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है, जिससे सुख-समृद्धि और आर्थिक लाभ के योग बनते हैं। जो भक्त सच्चे मन से यह व्रत रखते हैं, भगवान गणेश उनकी सभी इच्छाएं या मनोकामना पूर्ति करते हैं।
 
विनायक चतुर्थी जून 28, 2025, शनिवार के शुभ मुहूर्त
 
विनायक चतुर्थी पूजन समय : सुबह 11:01 मिनट से 01:48 मिनट तक।
चतुर्थी पूजा अवधि : 02 घण्टे 47 मिनट्स
आषाढ़, शुक्ल चतुर्थी प्रारम्भ- 28 जून को सुबह 09:53 मिनट से।
आषाढ़, शुक्ल चतुर्थी का समापन- 29 जून को सुबह 09:14 मिनट पर।
 
विनायक चतुर्थी पूजा विधि: विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा दोपहर के समय (मध्याह्न) की जाती है।
1. सुबह की तैयारी:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान को साफ करें और गंगाजल से पवित्र करें।
- संकल्प लें कि आप भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए यह व्रत और पूजा करेंगे।
 
2. पूजा सामग्री:
- भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र
- लाल आसन या वस्त्र
- जल से भरा कलश
- दूर्वा घास (21 गांठें शुभ मानी जाती हैं)
- मोदक या लड्डू (गणेश जी को अत्यंत प्रिय हैं)
- पान, सुपारी, लौंग, इलायची
- तिलक के लिए सिंदूर
- अक्षत (चावल)
- लाल फूल (गुड़हल का फूल विशेष प्रिय है)
- धूप, दीप (घी का)
- केला या अन्य फल
 
3. पूजा विधि (दोपहर में):
- पूजा के लिए एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- गणेश जी को स्नान कराएं (यदि प्रतिमा हो) या जल के छींटे लगाएं।
- उन्हें लाल वस्त्र अर्पित करें।
- तिलक: गणेश जी को सिंदूर का तिलक लगाएं।
- पुष्प और दूर्वा: लाल फूल और दूर्वा घास (21 गांठें) अर्पित करें। दूर्वा गणेश जी को विशेष रूप से प्रिय है।
- धूप-दीप: घी का दीपक प्रज्वलित करें और धूप-अगरबत्ती जलाएं।
- नैवेद्य: भगवान गणेश को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं। साथ में केला, पान, सुपारी, लौंग और इलायची भी अर्पित करें।
- मंत्र जाप: भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें। कुछ प्रमुख मंत्र:
'ॐ गं गणपतये नमः' (108 बार)
'वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।'
- गणेश चालीसा: गणेश चालीसा का पाठ करें।
- कथा: विनायक चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें या सुनें।
- आरती: अंत में भगवान गणेश की आरती करें।
- क्षमा याचना: पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना करें और अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए प्रार्थना करें।
 
4. चंद्र दर्शन से बचें:विनायक चतुर्थी पर चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए, क्योंकि इससे कलंक लगने का भय होता है। यदि आप गलती से चंद्रमा देख लें तो गणेश मंत्र का जाप करें तथा चंद्रदर्शन दोष निवारण की कथा पढ़ें।
 
5. पारण:- व्रत का पारण चंद्रमा के दर्शन से बचने के लिए, पूजा के बाद फल और मोदक खाकर किया जा सकता है। शाम को आप सात्विक भोजन ग्रहण कर सकते हैं।
 
अत: आज विनायक चतुर्थी के इस पावन अवसर पर, पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान गणेश की पूजा करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
 
शुभ विनायक चतुर्थी!

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: देवशयनी एकादशी व्रत में छिपे हैं स्वास्थ्य और अध्यात्म के रहस्य, पढ़ें 5 लाभ
 
 

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