* ये हैं माघ स्नान की पौराणिक कथा, आप भी जानिए
स्कंदपुराण के रेवाखंड में वर्णित माघ स्नान की ये रोचक कथा ब्राह्मण शुभव्रत के कल्याण प्राप्ति की कथा है। माघ स्नान की कथा में उल्लेख में आया है कि प्राचीन काल में नर्मदा तट पर शुभव्रत नामक ब्राह्मण निवास करते थे। वे सभी वेद शास्त्रों के अच्छे ज्ञाता थे। किंतु उनका स्वभाव धन संग्रह करने का अधिक था।
उन्होंने धन तो बहुत एकत्रित किया। वृद्घावस्था के दौरान उन्हें अनेक रोगों ने घेर लिया। तब उन्हें ज्ञान हुआ कि मैंने पूरा जीवन धन कमाने में लगा दिया अब परलोक सुधारना चाहिए। वह परलोक सुधारने के लिए चिंतातुर हो गए।
अचानक उन्हें एक श्लोक याद आया जिसमें माघ मास के स्नान की विशेषता बताई गई थी। उन्होंने माघ स्नान का संकल्प लिया और 'माघे निमग्ना: सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति।।' इसी श्लोक के आधार पर नर्मदा में स्नान करने लगे। नौ दिनों तक प्रात: नर्मदा में जल स्नान किया और 10वें दिन स्नान के बाद उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया।
शुभव्रत ने जीवन भर कोई अच्छा कार्य नहीं किया था लेकिन माघ मास में स्नान करके पश्चाताप करने से उनका मन निर्मल हो गया। माघ मास के स्नान करने से उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हुई। इस तरह जीवन के अंतिम क्षणों में उनका कल्याण हो गया और उनका परलोक सुधार गया।