धार्मिक ग्रंथों के अनुसार महानंदा नवमी मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आती है। जो कि इस बार यह तिथि 5 दिसंबर, गुरुवार को आ रही है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार किसी अज्ञात कारणों की वजह से अगर जीवन में सुख-समृद्धि, रुपया-पैसा, धन की कमी हुई हो, तो यह व्रत करना बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इसीलिए नवमी के दिन महानंदा व्रत किया जाता है।
महानंदा नवमी व्रत का पूजन तथा मंत्र का जाप करने से गरीबी दूर होती है तथा श्री की देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करने से घर का दारिद्रय (गरीब या निर्धन होने की अवस्था) समाप्त होकर जीवन में संपन्नता आती है। इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है। इस दिन असहाय लोगों को दान करने से सुख-समृद्धि के साथ ही विष्णु लोक की प्राप्ति भी होती है।
आइए जानें इस दिन क्या करें?
* ब्रह्म मुहूर्त में घर का कूड़ा-कचरा इकट्ठा करके सुपड़ी (सूपे) में रखकर घर के बाहर करना चाहिए। इसे अलक्ष्मी का विसर्जन कहा जाता है।
* तत्पश्चात हाथ-पैर धोकर दरवाजे पर खड़े होकर श्री महालक्ष्मी का आवाह्न करना चाहिए।
* स्वच्छ धुले हुए और सफेद वस्त्र पहन कर एक आसन बिछाकर स्थान ग्रहण करना चाहिए।
* उसके बाद एक पटिये पर लाल कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
* मां लक्ष्मी को कुमकुम, अक्षत, गुलाल, अबीर, हल्दी, मेंहदी चढ़ाएं तथा उनका पूजन करें।
* इस दिन पूजन स्थान के बीचोबीच गाय के घी का एक बड़ा अखंड दीया जलाना चाहिए तथा धूपबत्ती प्रज्वलित करना चाहिए।
* मां लक्ष्मी के प्रिय मंत्र- 'ॐ ह्रीं महालक्ष्म्यै नम:' का जप करना चाहिए।
* मां लक्ष्मी को सफेद मिठाई, पंचामृत, पंचमेवा, ऋतु फल, मखाने, बताशे आदि को भोग लगा कर रात्रि जागरण करना चाहिए।
* रात्रि में पूजा के पश्चात व्रत का पारण करना चाहिए।
* पौराणिक शास्त्रों में नवमी के दिन कुंआरी कन्या का पूजन करके उससे आशीर्वाद लेना विशेष शुभ माना गया है। अत: नवमी तिथि को कन्या भोज तथा उनके चरण अवश्य छूने चाहिए।
* इस दिन खासकर 'श्री' यानी महालक्ष्मी देवी की विधिवत पूजा कर व्रत-उपवास रखकर कुंआरी कन्याओं को भोजन कराना चाहिए तथा मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करके हवन करने से घर का दारिद्रय दूर होकर घर में लक्ष्मी व धन का आगमन होता है तथा जीवन सुख-संपन्नता से परिपूर्ण हो जाता है।
महानंदा नवमी के पूजन के शुभ मुहूर्त
5 दिसंबर को सुबह 1 बजकर 44 मिनट से नवमी तिथि का प्रारंभ होगा, जो कि 6 दिसंबर को सुबह 4 बजकर 15 मिनट पर नवमी तिथि का समापन होगा।
अत: इस समयावधि में श्रीहरि विष्णु एवं मां लक्ष्मी का पूजन करना अति फलदायी रहेगा।