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महेश नवमी कब है, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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WD Feature Desk

, शनिवार, 8 जून 2024 (14:03 IST)
Highlights 
 
* महेश नवमी 15 जून को।
* माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति का दिन। 
* महेश नवमी ज्येष्ठ शुक्ल नवमी को मनाई जाती है। 
Mahesh Navami: हिन्दू पंचांग के अनुसार महेश नवमी हर साल ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। इस बार 15 जून 2024, शनिवार को यह जयंती मनाई जाएगी। इस दिन भगवान शिव-माता पार्वती का पूजन किया जाता हैं। इस दिन विधिपूर्वक पूजन-अर्चन करने से सुख-संपदा, अपार धन, सौभाग्य और अखंड ऐश्वर्य में वृद्धि होती है। 
 
आइए जानते हैं पूजन के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में-
 
महेश नवमी पूजा के मुहूर्त और समय : Mahesh Navami Muhurat 2024 
 
इस बार महेश नवमी शनिवार, 15 जून 2024 को मनाई जा रही है.... 
ज्येष्ठ शुक्ल नवमी तिथि का प्रारम्भ इस बार 15 जून 2024 को देर रात 12 बजकर 03 बजे से होगा।  
और नवमी तिथि की समाप्ति- 16 जून 2024 को देर रात 02 बजकर 32 मिनट पर होगी। 
 
पूजन विधि : Puja Vidhi 
 
* महेश नवमी के दिन भगवान शिव का परिवार सहित तथा शिवलिंग का पूजन-अभिषेक किया जाता है।
 
* साथ ही भगवान शिव जी को गंगा जल, पुष्प और बिल्वपत्र आदि चढ़ाकर पूजन किया जाता है।
 
* डमरू बजाकर भगवान शिव की आराधना की जाती है।
 
* माता पार्वती का पूजन, स्मरण करके विशेष आराधना की जाती है।
 
जप के पूर्व शिव जी के ऊपर जलधारा अर्पित करना चाहिए। फिर निम्न मंत्रों का जाप करके शिव जी को प्रसन्न किया जा सकता हैं।
 
मंत्र- 
- ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय। 
- ॐ नमः शिवाय। 
- ॐ पार्वतीपतये नमः।
 
महेश नवमी के दिन पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके 108 बार उपरोक्त मंत्रों का जाप करना चाहिए। यह दिन माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति का दिन है। अतः प्रतिवर्ष  ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को 'महेश नवमी' उत्सव के रूप में मनाया जाता है। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

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