Shiv Aarti : भगवान शिव की कई आरतियां हैं। जिनमें से ॐ जय शिव ओंकारा आरती ज्यादा लोकप्रिय है। परंतु शिवजी के गंगाधर रूप को समर्पित गंगाधर जी की ॐ जय गंगाधर गिरिजाधीशा आरती भी प्रात: कई अवसरों पर गाई जाती है। गंगा दशमी और गंगा दशहरा पर भी इस आरती को गाने का प्रचलन है, क्योंकि उन्होंने अपनी जटाओं में मां गंगा के प्रवाह को नियंत्रित किया हुआ है और वहीं से गंगा प्रवाहित होती। पढ़ें इस आरती को।
भगवान गंगाधर
ॐ जय गंगाधर जय हर जय गिरिजाधीशा।
त्वं मां पालय नित्यं कृपया जगदीशा।।
ॐ हर हर हर महादेव।।
कैलासे गिरिशिखरे कल्पद्रुमविपिने।
गुंजति मधुकरपुंजे कुंजवने गहने।।
कोकिलकूजित खेलत हंसावन ललिता।
रचयति कलाकलापं नृत्यति मुदसहिता।।
ॐ हर हर हर महादेव।।
तस्मिंल्ललितसुदेशे शाला मणिरचिता।
तन्मध्ये हरनिकटे गौरी मुदसहिता।।
क्रीडा रचयति भूषारंचित निजमीशम्।
इंद्रादिक सुर सेवत नामयते शीशम्।।
ॐ हर हर हर महादेव।।
बिबुधबधू बहु नृत्यत हृदये मुदसहिता।
किन्नर गायन कुरुते सप्त स्वर सहिता।।
धिनकत थै थै धिनकत मृदंग वादयते।
क्वण क्वण ललिता वेणुं मधुरं नाटयते।।
ॐ हर हर हर महादेव।।
रुण रुण चरणे रचयति नूपुरमुज्ज्वलिता।
चक्रावर्ते भ्रमयति कुरुते तां धिक तां।।
तां तां लुप चुप तां तां डमरू वादयते।
अंगुष्ठांगुलिनादं लासकतां कुरुते।।
ॐ हर हर हर महादेव।।
कपूर्रद्युतिगौरं पञ्चाननसहितम्।
त्रिनयनशशिधरमौलिं विषधरकण्ठयुतम्।।
सुन्दरजटाकलापं पावकयुतभालम्।
डमरुत्रिशूलपिनाकं करधृतनृकपालम्।।
ॐ हर हर हर महादेव।।
मुण्डै रचयति माला पन्नगमुपवीतम्।
वामविभागे गिरिजा रूपं अतिललितम्।।
सुन्दरसकलशरीरे कृतभस्माभरणम्।
इति वृषभध्वजरूपं तापत्रयहरणं।।
ॐ हर हर हर महादेव।।
शंखनिनादं कृत्वा झल्लरि नादयते।
नीराजयते ब्रह्मा वेदऋचां पठते।।
अतिमृदुचरणसरोजं हृत्कमले धृत्वा।
अवलोकयति महेशं ईशं अभिनत्वा।।
ॐ हर हर हर महादेव।।
ध्यानं आरति समये हृदये अति कृत्वा।
रामस्त्रिजटानाथं ईशं अभिनत्वा।।
संगतिमेवं प्रतिदिन पठनं य: कुरुते।
शिवसायुज्यं गच्छति भक्त्या य: श्रृणुते।।