Vaishakh Purnima 2022: वैशाख माह की पूर्णिमा को पीपल पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन पुराणों में पीपल की पूजा का महत्व बताया गया है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार 16 मई 2022 सोमवार को पीपल पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा। हिंदू धार्मिक ग्रंथों में पीपल को अमृततुल्य माना गया है। आओ जानते हैं पीपल के वृक्ष की 10 खास बातें।
1. कल्पवृक्ष : अथर्ववेद के उपवेद आयुर्वेद में पीपल के औषधीय गुणों का अनेक असाध्य रोगों में उपयोग वर्णित है। औषधीय गुणों के कारण पीपल के वृक्ष को 'कल्पवृक्ष' की संज्ञा दी गई है।
2. आधि-व्याधियों के निदान में सहायक : पीपल के प्रत्येक तत्व जैसे छाल, पत्ते, फल, बीज, दूध, जटा एवं कोपल तथा लाख सभी प्रकार की आधि-व्याधियों के निदान में काम आते हैं।
3. आयु वृद्धि : पद्मपुराण के अनुसार पीपल की परिक्रमा करके प्रणाम करने से आयु में वृद्धि होती है। वनस्पति जगत में पीपल ही एकमात्र ऐसा वृक्ष है जिसमें कीड़े नहीं लगते हैं।
4. इसके ऑक्सीजन से आरोग्य की प्राप्ति : यह वृक्ष सर्वाधिक ऑक्सीजन छोड़ता है जिसे आज विज्ञान ने स्वीकार किया है। पीपल की छाया में ऑक्सीजन से भरपूर आरोग्यवर्धक वातावरण निर्मित होता है
5. पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण को रोकता है : सर्वाधिक ऑक्सीजन निस्सृत करने के कारण इसे प्राणवायु का भंडार कहा जाता है। सबसे अधिक ऑक्सीजन का सृजन और विषैली गैसों को आत्मसात करने की इसमें अकूत क्षमता है। यानी पीपल का वृक्ष पर्याप्त मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड ग्रहण करता है और ऑक्सीजन छोड़ता है।
6. वात, पित्त और कफ में संतुलन में सहायक : इसके प्रभाव और वातावरण से वात, पित्त और कफ का शमन-नियमन होता है तथा तीनों स्थितियों का संतुलन भी बना रहता है।
7. मानसिक शांति : पीपल के वृक्ष के नीचे कुछ देर बैठने या लेटने से हमारे शरीर की नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मक ऊर्जा में बदल जाती है और हमारी सारी चिंताएं मिटक हमें मानसिक शांति भी प्राप्त होती है।
8. लगातार हिलना : संस्कृत में पीपल को 'चलदलतरु' कहते हैं। हवा न भी हो तो पीपल के पत्ते हिलते नजर आते हैं।' पात सरिस मन डोला'- शायद थोड़ी-सी हवा के हिलने की वजह से तुलसीदास ने मन की चंचलता की तुलना पीपल के पत्ते के हिलने की गति से की गई है।
9. पाप है काटना: 'अश्वत्थम् प्राहुख्ययम्' अर्थात अश्वत्थ (पीपल) का काटना शरीर-घात के समान है। धर्मशास्त्रों में पीपल के वृक्ष को भगवान विष्णु का निवास माना गया है।
10. पूजा परिक्रमा का महत्व : स्कंद पुराण के अनुसार पीपल की जड़ में श्री विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में भगवान श्री हरि और फल में सब देवताओं से युक्त भगवान का अच्युत निवास है। इसीलिए पीपल के वृक्ष का पूजन किया जाता है।