22 दिसंबर, बुधवार को वर्ष 2021 की अंतिम संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2021) मनाई जा रही है। यह दिन प्रथम पूजनीय श्री गणेश के नाम है। इस तिथि पर गणपति की पूजा की जाती है और चंद्रदर्शन करके चंद्रमा को अर्घ्य देने के पश्चात व्रत पूर्ण होता है।
शास्त्रों में भगवान श्री गणेश बुद्धि और चातुर्य के देवता माने गए हैं। उनकी उपासना से बुद्धि अत्यंत तीव्र होती है तथा विद्या की प्राप्ति आसानी से हो जाती है। जो भक्त अपार धन कमाना चाहते हैं उनमें बुद्धि और विवेक होना अतिआवश्यक है, जो कि भगवान गणेश के पूजन-अर्चन और उनकी कृपा से सरलता से मिल जाते हैं।
इस बार पौष मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 22 दिसंबर को मनाई जाएगी। इस दिन चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व है। अत: महिलाएं चतुर्थी पूजन करके श्री गणेश से आशीष प्राप्त करेंगी। संकष्टी को भगवान गणेश को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाना चाहिए। यहां जानिए पूजन विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त-
पूजा विधि- Ganesha Puja Vidhi
- श्री गणेश चतुर्थी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।
- इसके बाद घर के मंदिर में गणेश प्रतिमा को गंगा जल और शहद से स्वच्छ करें।
- सिंदूर, दूर्वा, फूल, चावल, फल, जनेऊ, प्रसाद आदि चीजें एकत्रित करें।
- धूप-दीप जलाएं।
- ॐ गं गणपते नमः मंत्र का 108 बार जाप करते हुए पूजा करें।
- गणेश जी के सामने व्रत करने का संकल्प लें और पूरे दिन अन्न ग्रहण न करें।
- व्रत में फलाहार, पानी, दूध, फलों का रस आदि चीजों का सेवन किया जा सकता है।
गणपति की स्थापना के बाद पूजन इस तरह करें-
- सबसे पहले घी का दीपक जलाएं। इसके बाद पूजा का संकल्प लें।
- फिर गणेश जी का ध्यान करने के बाद उनका आह्वान करें।
- इसके बाद गणेश को स्नान कराएं। सबसे पहले जल से, फिर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण) और पुन: शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- गणेश के मंत्र व चालीसा और स्तोत्र आदि का वाचन करें।
- अब गणेश जी को वस्त्र चढ़ाएं। अगर वस्त्र नहीं हैं तो आप उन्हें एक नाड़ा भी अर्पित कर सकते हैं।
- इसके बाद गणपति की प्रतिमा पर सिंदूर, चंदन, फूल और फूलों की माला अर्पित करें।
- अब बप्पा को मनमोहक सुगंध वाली धूप दिखाएं।
- अब एक दूसरा दीपक जलाकर गणपति की प्रतिमा को दिखाकर हाथ धो लें। हाथ पोंछने के लिए नए कपड़े का इस्तेमाल करें।
- अब नैवेद्य चढ़ाएं। नैवेद्य में मोदक, मिठाई, गुड़ और फल शामिल हैं।
- इसके बाद गणपति को नारियल और दक्षिण प्रदान करें।
- चतुर्थी कथा पढ़ें।
- अब अपने परिवार के साथ गणपति की आरती करें। गणेश जी की आरती कपूर के साथ घी में डूबी हुई एक या तीन या इससे अधिक बत्तियां बनाकर की जाती है।
- इसके बाद हाथों में फूल लेकर गणपति के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित करें।
- अब गणपति की परिक्रमा करें। ध्यान रहे कि गणपति की परिक्रमा एक बार ही की जाती है।
- इसके बाद हर भूल-चूक के लिए माफी मांगें।
- पूजा के अंत में साष्टांग प्रणाम करें।
- पूजा के बाद घर के आसपास जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें।
- गाय को रोटी या हरी घास दें। किसी गौशाला में धन का दान भी कर सकते हैं।
- रात को चंद्रमा की पूजा और दर्शन करने के बाद यह व्रत खोलें।
- शाम को चंद्रमा निकलने से पहले गणपति जी की एक बार पुन: पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें। अब व्रत का पारण करें।
गणेश नाम मंत्र- Ganesh Mantra
ॐ गणाधिपाय नमः
ॐ उमापुत्राय नमः
ॐ विघ्ननाशनाय नमः
ॐ विनायकाय नमः
ॐ ईशपुत्राय नमः
ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः
ॐ एकदंताय नमः
ॐ इभवक्त्राय नमः
ॐ मूषकवाहनाय नमः
ॐ कुमारगुरवे नमः।
संकष्टी चतुर्थी 2021 तिथि एवं पूजा मुहूर्त Sankashti Chaturthi Puja Muhurat
इस साल का आखिरी संकष्टी चतुर्थी व्रत इंद्र योग में रखा जाएगा। इंद्र योग दोपहर 12.04 मिनट तक रहेगा अत: आप सुबह से दोपहर 12 बजे के मध्य तक भगवान श्री गणेश (Lord Ganesha) का पूजन कर सकते हैं।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, पौष कृष्ण चतुर्थी का प्रारंभ दिन बुधवार, 22 दिसंबर 2021 को शाम 04.52 मिनट से शुरू होकर गुरुवार, 23 दिसंबर 2021 को शाम 06:27 मिनट पर समापन होगा।
चतुर्थी तिथि चंद्रोदय का टाइम (Moon Rising)- 22 दिसंबर को रात 08:12 मिनट पर।