Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

30 मई को सोमवती अमावस्या पर क्यों करते हैं 108 वस्तुओं का दान, जानिए 108 की संख्या का महत्व

हमें फॉलो करें 30 मई को सोमवती अमावस्या पर क्यों करते हैं 108 वस्तुओं का दान, जानिए 108 की संख्या का महत्व
, रविवार, 29 मई 2022 (07:56 IST)
Somvati Amavasya 2022: 30 मई 2022 सोमवती अमावस्या के दिन बहुत ही दुर्लभ योग संयोग बन रहे हैं। इसी दिन शनि जयंती के साथ ही वट सावित्री का व्रत भी रखा जाएगा। ऐसा दुर्लभ संयोग 30 साल बाद बन रहा है। सोमवती अमावस्या पर 108 प्रकार के दान दिए जाते हैं। आओ जानते हैं 108 की संख्या का महत्व।
 
 
1. सोमवती अमावस्या के दिन काल सर्पदोष, पितृदोष और अल्पायु दोष का निवारण किया जाता है। इसीलिए इस दिन शनि पूजा, यम पूजा और भोलेनाथ की पूजा के साथ ही स्नान, दान और पुण्य कार्य करने का खास महत्व है। 
 
2. सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी की परिक्रमा करना, ओंकार का जप करना, सूर्य नारायण को अर्घ्य देना अत्यंत फलदायी है। मान्यता है कि सिर्फ तुलसी जी की 108 बार प्रदक्षिणा करने से घर की दरिद्रता भाग जाती है।
 
3. महाभारत में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व प्रकट करते हुए कहा था कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी प्रकार के दुखों से मुक्त हो जाता है।
 
4. इस दिन गंगा स्नान करने से पितृ भी संतुष्ट हो जाते हैं। पीपल के पेड़ में पितर और सभी देवों का वास होता है। इसलिए सोमवती अमावस्या के दिन जो दूध में पानी और काले तिल मिलाकर सुबह पीपल को चढ़ाते हैं। पीतल की 108 परिक्रमा करते हैं। उन्हें पितृदोष से मुक्ति मिल जाती है।
webdunia
Daan
108 अंक का रहस्य :
 
1. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार समस्त ब्रह्मांड को 12 भागों में बांटने पर आधारित है। इन 12 भागों को ‘राशि’ की संख्या दी गई है। हमारे शास्त्रों में प्रमुख रूप से 9 ग्रह (नवग्रह) माने जाते हैं। इस तरह 12 राशियों और 9 ग्रहों का गुणनफल 108 आता है। यह संख्या संपूर्ण विश्व का प्रतिनिधित्व करने वाली सिद्ध हुई है।
 
2. 1 वर्ष में सूर्य 21,600 (2 लाख 12 हजार) कलाएं बदलता है। चूंकि सूर्य हर 6 महीने में उत्तरायण और दक्षिणायन रहता है, तो इस प्रकार 6 महीने में सूर्य की कुल कलाएं 1,08,000 (1 लाख 8 हजार) होती हैं। अंतिम 3 शून्य हटाने पर 108 अंकों की संख्या मिलती है इसलिए माला जप में 108 दाने सूर्य की 1-1 कलाओं के प्रतीक हैं।
 
3. 108 अंक की धारणा भारतीय ऋषियों की कुल 27 नक्षत्रों की खोज पर आधारित है। चूंकि प्रत्येक नक्षत्र के 4 चरण होते हैं अत: इनके गुणफल की संख्या 108 आती है, जो परम पवित्र मानी जाती है। इसमें श्री लगाकर ‘श्री 108’ हिन्दू धर्म में धर्माचार्यों, जगद्गुरुओं के नाम के आगे लगाना अति सम्मान प्रदान करने का सूचक माना जाता है।
 
4. हमारी सांसों की संख्या के आधार पर 108 दानों की माला स्वीकृत की गई है। 24 घंटों में एक व्यक्ति 21,600 बार सांस लेता है। चूंकि 12 घंटे दिनचर्या में निकल जाते हैं, तो शेष 12 घंटे देव-आराधना के लिए बचते हैं अर्थात 10,800 सांसों का उपयोग अपने ईष्टदेव को स्मरण करने में व्यतीत करना चाहिए, लेकिन इतना समय देना हर किसी के लिए संभव नहीं होता इसलिए इस संख्या में से अंतिम 2 शून्य हटाकर शेष 108 सांस में ही प्रभु-स्मरण की मान्यता प्रदान की गई।
 
5. माला में इसीलिए 108 मणियां या मनके होते हैं। उपनिषदों की संख्या भी 108 ही है। शिवांगों की संख्या 108 होती है। ब्रह्म के 9 व आदित्य के 12 इस प्रकार इनका गुणन 108 होता है। ऋग्वेद में ऋचाओं की संख्या 10 हजार 800 है। 2 शून्य हटाने पर 108 होती है। शांडिल्य विद्यानुसार यज्ञ वेदी में 10 हजार 800 ईंटों की आवश्यकता मानी गई है। 2 शून्य कम कर यही संख्या शेष रहती है। जैन मतानुसार भी अक्ष माला में 108 दाने रखने का विधान है। यह विधान गुणों पर आधारित है। अर्हन्त के 12, सिद्ध के 8, आचार्य के 36, उपाध्याय के 25 व साधु के 27 इस प्रकार पंच परमिष्ठ के कुल 108 गुण होते हैं।
 
6.गौड़ीय वैष्णव धर्म की बात करें तो वृंदावन में भी 108 गोपियों का ही जिक्र है। श्रीवैष्णव धर्म में भगवान विष्णु के 108 दिव्य क्षेत्रों को बताया गया है। इन्हें '108 दिव्यदेशम' कहा जाता है। पुराणों में 108 ज्योतिर्लिंगों का उल्लेख मिलता है। देवी के शक्तिपीठ भी 108 बताए गए हैं। समुद्र मंथन के दौरान 54 देव और 54 राक्षस, कुल मिलाकर 108 लोग ही शामिल थे। इस तरह 108 अंक का बहुत महत्व है। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

शनि जयंती पर 30 साल बाद दुर्लभ संयोग, कर लें ये 5 उपाय, खुल जाएंगे भाग्य