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सिंधारा दोज क्यों मनाई जाती है, क्या करते हैं इस दिन? पूजा का शुभ मुहूर्त और 3 उपाय

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WD Feature Desk

, गुरुवार, 24 जुलाई 2025 (16:35 IST)
2025 Shravan Dooj: सिंधारा दोज एक महत्वपूर्ण पर्व है जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इसे सौभाग्य दूज, गौरी द्वितीया या सिंजारा भी कहते हैं। यह पर्व मुख्य रूप से सुहागिन महिलाओं और नई नवेली दुल्हनों के लिए विशेष महत्व रखता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन चंचुला देवी ने मां पार्वती को सुंदर वस्त्र, आभूषण और चुनरी चढ़ाई थी, जिससे प्रसन्न होकर मां पार्वती ने उन्हें अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान दिया था। इसलिए इस दिन मां गौरी/पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है।ALSO READ: सिंधारा दूज कब है, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

आइए यहां जानते हैं सिंधारा दोज व्रत के बारे में...
 
सिंधारा दोज क्यों मनाई जाती है? सिंधारा दूज हरियाली तीज से एक दिन पहले आती है और इसे हरियाली तीज के आगमन का प्रतीक माना जाता है। इस दिन मायके से बेटी या बहू के लिए "सिंधारा" भेजा जाता है, जिसमें मुख्य रूप से ये चीजें होती हैं, जिसमें मिठाई में विशेष रूप से घेवर, मठरी आदि। श्रृंगार का सामान, जिसमें  मेहंदी, चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी, आभूषण और अन्य सुहाग की वस्तुएं तथा नए परिधान यानी वस्त्र होते हैं।
 
यह सिंधारा बेटी के प्रति माता-पिता के स्नेह, आशीर्वाद, खुशहाली और समृद्धि की कामना का प्रतीक होता है। यदि बेटी ससुराल में है तो मायके से सिंधारा भेजा जाता है, और यदि बहू मायके गई हो तो ससुराल से सिंधारा आता है। सिंधारे में आई मेहंदी को सुहागिनें अपने हाथों में लगाती हैं और अगले दिन तीज का व्रत करती हैं। यह पर्व पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने और सुख-समृद्धि की कामना के लिए भी मनाया जाता है।
 
सिंधारा दोज पर क्या करते हैं? सिंधारा दूज पर कई रीति-रिवाज और परंपराएं निभाई जाती हैं:-
 
• सिंधारा भेजना और प्राप्त करना: मायके से बेटी या बहू के लिए सिंधारा भेजा जाता है, जिसमें मिठाई, वस्त्र और श्रृंगार का सामान होता है।
• श्रृंगार: सुहागिन महिलाएं सिंधारे में आए श्रृंगार के सामान से खुद को सजाती हैं, विशेष रूप से मेहंदी लगाती हैं।
• उपहारों का आदान-प्रदान: महिलाएं एक-दूसरे को उपहार देती हैं।
• झूला झूलना: सावन के महीने में झूले पड़ने की पुरानी परंपरा है और सिंधारा दोज के दिन बागों में झूले लगाए जाते हैं, जिन पर महिलाएं झूलती हैं और गीत गाती हैं।
• गौरी पूजा: शाम के समय गौर माता यानी देवी पार्वती की पूजा की जाती है।
• सास को 'बाया' भेंट करना: नई बहूएं अपने मायके से लाए गए 'बाया' यानी फल, व्यंजन, मिठाई और धन को शाम को गौरी पूजा के बाद अपनी सास को भेंट करती हैं।
• उपवास: कुछ महिलाएं इस दिन पति की दीर्घायु के लिए उपवास भी रखती हैं।ALSO READ: हरियाली तीज का व्रत कब रखा जाएगा, पूजा का समय क्या है?
 
सिंधारा दोज 2025 के शुभ मुहूर्त: 
- श्रावण शुक्ल द्वितीया तिथि का प्रारंभ: 25 जुलाई 2025 को दोपहर 11.22 मिनट से
- द्वितीया तिथि का समापन- 26 जुलाई 2025, रात 10:41 मिनट पर।
 
- 26 जुलाई 2025, शनिवार, पूजन के दिन का शुभ समय:
ब्रह्म मुहूर्त- 04:46 ए एम से 05:30 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 05:08 ए एम से 06:13 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 12:19 पी एम से 01:11 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:55 पी एम से 03:48 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 07:17 पी एम से 07:38 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 07:17 पी एम से 08:22 पी एम
अमृत काल- 02:16 पी एम से 03:52 पी एम
निशिथ मुहूर्त- 12:23 ए एम, जुलाई 27 से 01:07 ए एम, जुलाई 27 तक। 
इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जिनमें आप पूजा कर सकते हैं।
 
सिंधारा दोज पर 3 अचूक उपाय: 
 
1 उपाय: माता पार्वती को 16 श्रृंगार अर्पित करें: उपाय: इस दिन विवाहित महिलाएं मंदिर जाकर माता पार्वती को 16 श्रृंगार का सामान (जैसे सिंदूर, बिंदी, चूड़ियां, मेहंदी, चुनरी आदि) अर्पित करें। पूजा के बाद मंदिर से चढ़ाया हुआ सिंदूर अपनी मांग में लगाएं।
- लाभ: यह उपाय पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। इससे दांपत्य जीवन में मधुरता और खुशहाली आती है।
 
2 उपाय: गरीबों को गुड़ और सफेद वस्त्र दान करें: सिंधारा दूज/दोज के दिन किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को गुड़ और सफेद रंग के वस्त्र दान करें। दान सच्चे मन से और बिना किसी अपेक्षा के करें। 
- लाभ: यह उपाय आर्थिक समस्याओं को दूर करने में मदद करता है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। साथ ही, चंद्र देव और भगवान शिव की कृपा भी प्राप्त होती है।ALSO READ: Traditional Hariyali Teej Recipes: हरियाली तीज के पारंपरिक व्यंजन, जानें इस पर्व पर क्या क्या बनता है?
 
3 उपाय: चावल और दूध से बनी खीर का दान करें: सिंधारा दूज के दिन चावल और दूध से बनी खीर बनाकर पहले माता गौरी को भोग लगाएं, फिर इसे किसी मंदिर में या गरीब लोगों को दान करें।
- लाभ: यह उपाय जीवन में आ रही बाधाओं को दूर करता है और सफलता के नए रास्ते खोलता है। इससे घर में शांति और सकारात्मकता का वास होता है।
 
इन उपायों को श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से सिंधारा दूज का पर्व आपके लिए अत्यंत शुभ और मंगलकारी होगा तथा सिंधारा दूज पर किए गए ये उपाय आपके जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य ला सकते हैं। 

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