Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

रुक्मिणी द्वादशी : कैसे हुआ कृष्ण रुक्मिणी का विवाह, जानिए प्रेम कथा

हमें फॉलो करें रुक्मिणी द्वादशी : कैसे हुआ कृष्ण रुक्मिणी का विवाह, जानिए प्रेम कथा

अनिरुद्ध जोशी

, रविवार, 3 मई 2020 (14:55 IST)
रुक्मणी रहण, विवाह और प्रेम का प्रसंग अलग अलग मिलता है। महाभारत के अनुसार विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मिणी के 5 भाई थे- रुक्म, रुक्मरथ, रुक्मबाहु, रुक्मकेस तथा रुक्ममाली। रुक्मिणी सर्वगुण संपन्न तथा अति सुन्दरी थी। उसके शरीर में लक्ष्मी के शरीर के समान ही लक्षण थे अतः लोग उसे लक्ष्मीस्वरूपा कहा करते थे।
 
 
भीष्मक और रुक्मिणी के पास जो भी लोग आते-जाते थे, वे सभी श्रीकृष्ण की प्रशंसा किया करते थे। श्रीकृष्ण के गुणों और उनकी सुंदरता पर मुग्ध होकर रुक्मिणी ने मन ही मन तय कर लिया था कि वह श्रीकृष्ण को छोड़कर अन्य किसी को भी पति रूप में स्वीकार नहीं करेगी। उधर, श्रीकृष्ण को भी इस बात का पता हो चुका था कि रुक्मिणी परम रूपवती होने के साथ-साथ सुलक्षणा भी है। किंतु रुक्म चाहता था कि उसकी बहन का विवाह चेदिराज शिशुपाल के साथ हो।
 
 
शिशुपाल रुक्मिणी से विवाह करना चाहता था। रुक्मणि के भाई रुक्म का वह परम मित्र था। रुक्म अपनी बहन का विवाह शिशुपाल से करना चाहता था। रुक्म ने माता-पिता के विरोध के बावजूद अपनी बहन का शिशुपाल के साथ रिश्ता तय कर विवाह की तैयारियां शुरू कर दी थीं। रुक्मिणी को जब इस बात का पता लगा, तो वह बड़ी दुखी हुई। उसने अपना निश्चय प्रकट करने के लिए एक ब्राह्मण को द्वारिका श्रीकृष्ण के पास भेजा। 

 
श्रीकृष्ण ने रुक्मणि का संदेश पढ़ा- 'हे नंद-नंदन! आपको ही पति रूप में वरण किया है। मैं आपको छोड़कर किसी अन्य पुरुष के साथ विवाह नहीं कर सकती। मेरे पिता मेरी इच्छा के विरुद्ध मेरा विवाह शिशुपाल के साथ करना चाहते हैं। विवाह की तिथि भी निश्चित हो गई। मेरे कुल की रीति है कि विवाह के पूर्व होने वाली वधु को नगर के बाहर गिरिजा का दर्शन करने के लिए जाना पड़ता है। मैं भी विवाह के वस्त्रों में सज-धज कर दर्शन करने के लिए गिरिजा के मंदिर में जाऊंगी। मैं चाहती हूं, आप गिरिजा मंदिर में पहुंचकर मुझे पत्नी रूप में स्वीकार करें। यदि आप नहीं पहुंचेंगे तो मैं आप अपने प्राणों का परित्याग कर दूंगी।'

 
अंतत: रुक्म और शिशुपाल के विरोध के कारण ही श्रीकृष्ण को रुक्मिणी का हरण कर उनसे विवाह करना पड़ा।

शिशुपाल कृष्ण की बुआ का लड़का था। श्रीकृष्ण ने अपनी बुआ को वचन दिया था कि मैं इसके 100 अपराध क्षमा कर दूंगा। कालांतर में शिशुपाल ने अनेक बार श्रीकृष्ण को अपमानित किया और उनको गाली दी, लेकिन श्रीकृष्ण ने उन्हें हर बार क्षमा कर दिया। अत: एक यज्ञ समारोह में उसने श्रीकृष्ण को भरी सभा में अपमानित करने की सारी हदें पार कर दीं, तब श्रीकृष्ण ने उसका वध कर दिया।
 
रुक्मणी और कृष्ण विवाह : रुक्मणी का विवाह भी बहुत रोचक परिस्थितियों में हुआ था। भगवान श्रीकृष्‍ण ने सबसे पहले रुक्मणी से ही विवाह किया था। श्रीमद्भागवत गीता में इस विवाह का वर्णन रोचक तरीके से मिलता है। भागवत कथा का जहां भी आयोजन होता है वहां इस विवाह की नाटकीय रूप से प्रस्तुति की जाती है। भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी विवाह प्रसंग श्रीमद्भागवत महापुराण में श्रीशुकदेवजी राजा परीक्षित को सुनाते हैं।
 
श्रीकृष्ण-रुक्मिणी के पुत्र-पुत्री : प्रद्युम्न, चारुदेष्ण, सुदेष्ण, चारुदेह, सुचारू, चरुगुप्त, भद्रचारू, चारुचंद्र, विचारू और चारू। दोनों की एक पुत्री भी थीं जिसका नाम चारूमति था। 
 
वह स्थान जहां से हुआ था रुक्मिणी का हरण : श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का जिस मंदिर से हरण किया था। वह मंदिर वर्तमान में मौजूद है। इस मंदिर का नाम है 'अवंतिका देवी मंदिर'। यह मंदिर उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर जिले में अनूपशहर तहसील के जहांगीराबाद से करीब 15 किमी. दूर गंगा नदी के तट बना हुआ है। मान्यता है कि इस मंदिर में अवंतिका देवी जिन्हें अम्बिका देवी भी कहते हैं साक्षात् प्रकट हुई थीं। मंदिर में दो मूर्तियां हैं, जिनमें बाईं तरफ मां भगवती जगदंबा की है और दूसरी दायीं तरफ सतीजी की मूर्ति है। यह दोनों मूर्तियां 'अवंतिका देवी' के नाम से प्रतिष्ठित हैं।
 
महाभारत काल यह मंदिर अहार नाम से जाना जाता था। पौराणिक धर्म ग्रंथों के मुताबिक, यहां रुक्मिणी रोजाना गंगा किनारे स्थापित अवंतिका देवी के मंदिर में पूजा करने आती थीं। इसी मंदिर पर श्रीकृष्ण और रुक्मिणी का मिलाप हुआ था।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

रामचरित मानस : कैकेयी निंदा की पात्र है या वंदना की