Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

महाभारत युद्ध में भोजन व्यवस्था, जानिए 5 रहस्य

Advertiesment
हमें फॉलो करें food during mahabharata war

अनिरुद्ध जोशी

, शुक्रवार, 1 मई 2020 (16:47 IST)
कुरुक्षेत्र में लड़े गए महाभारत के युद्ध में लाखों सैनिकों ने भाग लिया था। अब सवाल यह उठता है कि इन लाखों लोगों के लिए भोजन कौन बनाता था और कैसे यह सब प्रबंध करता था? सवाल यह भी उठता है कि जब हर दिन हजारों लोग मारे जाते थे तो कैसे शाम का खाना हिसाब-किताब से बनता था? आओ जानते हैं इस संबंध में 5 रहस्य।
 
 
1. 45 लाख से ज्यादा सैनिक : श्रीकृष्ण की 1 अक्षौहिणी नारायणी सेना मिलाकर कौरवों के पास 11 अक्षौहिणी सेना थी तो पांडवों ने 7 अक्षौहिणी सेना एकत्रित कर ली थी। इस तरह सभी महारथियों की सेनाओं को मिलाकर कुल 45 लाख से ज्यादा लोगों ने इस युद्ध में भाग लिया था।
 
 
2. उडुपी के राजा बनवाते थे खाना : महाभारत युद्ध की घोषणा हुई तो सभी राज्यों के राजा अपना-अपना पक्ष तय कर रहे थे। कोई कौरवों की तरफ था, तो कोई पांडवों की तरफ। इस दौरान कई ऐसे भी राजा थे जिन्होंने तटस्थ रहना तय किया था। मान्यता के अनुसार उन्हीं में से एक उडुपी के राजा भी थे। उन्होंने श्रीकृष्ण के कहने पर भोजन का प्रबंधन संभाला।
 
 
किवदंती के अनुसार उन्होंने श्रीकृष्ण के पास जाकर उनसे कहा कि इस युद्ध में लाखों योद्धा शाम‌िल होंगे और युद्ध करेंगे लेक‌िन इनके ल‌िए भोजन का प्रबंध कैसे होगा? बिना भोजन के तो कोई योद्धा लड़ ही नहीं पाएगा। मैं चाहता हूं कि दोनों पक्षों के सैनिकों के लिए भोजन का प्रबंध मैं करूं। श्रीकृष्ण ने उडुपी के राजा को इसकी अनुमति दे दी।

 
3. कैसे तय होती थी भोजन की मात्रा : राजा के समक्ष यह सवाल था कि प्रतिदिन में भोजन किस हिसाब से बनवाऊं? खाना कम या ज्यादा तो नहीं होगा? उनकी इस चिंता का हल श्रीकृष्ण ने निकाल लिया था। आश्चर्य कि 18 दिन चलने वाले इस युद्ध में कभी भी खाना कम नहीं पड़ा और न ही बड़ी मात्रा में बचा। यह कैसे संभव हुआ? 

 
4. इस तरह निकला इसका हल : युद्ध के अंत के बाद युधिष्ठिर ने पूछा कि आप किस तरह यह जान लेते थे कि आज इतना ही भोजन बनाना है? तब उडुपी के राजा ने इसका श्रेय श्रीकृष्ण को दिया। उडुपी के राजा ने युधिष्ठिर से कहा कि भगवान श्रीकृष्ण रोज उबली हुई मूंगफली खाते थे। जैसे मान लो उन्होंने 10 मूंगफली खाई तो मैं समझ जाता था कि दूसरे दिन 10000 सैनिक मारे जाएंगे। अत: दूसरे दिन में 10 हजार सैनिकों का खाना नहीं बनाता था। इस तरह श्रीकृष्ण के कारण हर द‌िन सैन‌िकों को पूरा भोजन म‌िल जाता था और अन्न का अपमान भी नहीं होता था।
 
 
5. कर्नाटक का मठ : कहते हैं कि कर्नाटक के उडुपी जिले में स्थित श्री कृष्ण मठ में ये कथा हमेशा सुनाई जाती है।ऐसा माना जाता है कि इस मठ की स्थापना उडुपी के सम्राट द्वारा ही करवाई गई थी जिसे बाद में ‌श्री माधवाचार्यजी ने आगे बढ़ाया।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Buddha Purnima 2020 | 7 मई को बुद्ध जयंती, जानिए कौन थे महात्मा बुद्ध?