Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

लॉकडाउन में यदि हो गई है कब्ज, नहीं पच रहा खाना तो करें ये 5 कार्य

हमें फॉलो करें लॉकडाउन में यदि हो गई है कब्ज, नहीं पच रहा खाना तो करें ये 5 कार्य

अनिरुद्ध जोशी

, शनिवार, 25 अप्रैल 2020 (11:40 IST)
कब्ज एक वैश्‍विक समस्या है। वैसे भी लॉकडाउन में घर में ही रहने के चलते घुमना फिरना नहीं हो पा रहा है तो खाने को पचने में भी समस्या हो रही होगी। ऐसे में योग और आयुर्वेद के 5 नुस्खे अपना सकते हैं।
 
 
कारण : अनियमित भोजन और जीवन शैली इसका मुख्य कारण है। लगातार मसालेदार भोजन करते रहना। फिर कुछ लोग खाने के बाद बैठे रहते हैं या रात को भोजन पश्चात सो जाते हैं। योग और कसरत नहीं करना। मद्यपान और अत्यधिक भोजन भी इसके कारण हैं। कब्ज रहता है तो समझो यह सभी गंभीर बीमारियों का मूल कारण बन सकता है।
 
 
नुकसान : इससे वायु प्रकोप और रक्त विकार होता है। सिरदर्द, अनिद्रा, चक्कर और भूख न लगने की शिकायत भी रहती है। कब्ज बने रहने से ब्लड प्रेशर भी शुरू हो जाता है। बड़ी आंत में मल जमा रहने से उसमें सड़ांध लग जाती है, जिससे आंतों में सूजन और दांतों में सड़न जैसे रोग भी उत्पन्न होते है। सड़ांध बनी रहने से मसूड़े भी कमजोर होने लगते हैं।
 
 
उपाय:- 
1. उदराकर्षण : योग में ऐसे कई आसन हैं जिसको करने से आपकी कब्ज की समस्या जड़ से समाप्त होकर पेट की चर्बी हटकर पेट नरम हो सकता है। उन्हीं सबसे उत्तम आसनों में से एक है उदराकर्षण। इस योग को नियमित करने से आपकी कब्जियत और तोंद की समस्या समाप्त हो सकती है। कब्ज और तोंद में अत्यंत लाभदायक यह आसन आप एक दिन में दो से तीन बार करें।
 
 
उदराकर्षण करने की विधि :
*आप सबसे पहले आप दोनों पंजों के बल पर बैठ जाएं।
*गहरी श्वास लें और फिर दाहिने घुटने को भूमि पर टिकाएं और बाएं घुटने को उपर छाती के पास रखें। दोनों ही घुटने अपने हाथ के पंजे से कवर करें। दाहिने घुटने को भूमि पर टिकाते वक्त ध्यान दें कि आपका पंजा तो भूमि पर ही रहे, लेकिन एड़ी हवा में हो।
*अब इसी स्थिति में पूरा शरीर गर्दन सहित बाईं ओर घुमाएं। ऐसी स्थितति में दायां घुटना बाएं पंजे के ऊपर स्पर्श करेगा और अब दाहिने पैर की एड़ी को देखें।
*शुरुआत में एक से दो मिनट तक इसी अवस्था में रहें फिर सामान्य अवस्था में लौट आएं। लौटते वक्त श्वास पूर्णत: बाहर होना चाहिए। इस आसन को लेट कर भी किया जाता है।

 
2.अच्छे से खाना चबाएं :
कई लोग भोजन को अच्छे से चबाकर नहीं खाते हैं। यदि आप दांतों का अच्छे से उपयोग करेंगे तो आपकी आंतों को मेहनत नहीं करना पड़ेगी। ऐसे में आंतों को खाना पचाने में आसानी होगी। हिन्दू शास्त्रों, आयुर्वेद और योग में लिखा है कि एक ग्रास या कोल को कम से कम 32 बार चबाना चाहिए। 32 दांत होते हैं इसलिए कम से कम 32 बार। 32 बार चबाने से भोजन पूरी तरह से टूट कर saliva में घुल जाता है जो आसानी से पच जाता है।
 
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार गृहस्थ को 32 ग्राह ही खाना चाहिए। सबसे पहले मीठा, फिर नमकीन, अंत में कड़वा खाना चाहिए। सबसे पहले रसदार, बीच में गरिष्ठ, अंत में द्रव्य पदार्थ ग्रहण करें। थोड़ा खाने वाले को आरोग्य, आयु, बल, सुख, सुंदर संतान और सौंदर्य प्राप्त होता है।

 
3.उचित मात्रा में जल पीएं :
भोजन के एक घंटा पूर्व पानी पीएं और फिर भोजन के एक घंटा बाद ही पानी पीएं। इस बीच पानी ना पीएं। पानी से भोजन पचता है, लेकिन पानी की मात्रा कम या अधिक है तो भोजन सड़ता है। अत: उचित मात्रा में और उचित समय पर पानी पीना चाहिए। उचित अर्थात सम्यक।
 
पानी का काम भोजन को पचाना होता है। यदि आपने कम पानी पीया है तो यह उचित नहीं है और ज्यादा पीया है तो भी उचित नहीं है सम्यक अर्थात ठीक ठीक मात्रा में पानी पीएं। आपके शरीर को जब प्यास लगे तभी पानी पीएं और उतना ही पीएं जितनी की प्यास है। यदि आपके शरीर के तापमान के अनुसार आप 4 डिग्री कम या ज्यादा पानी पीते हैं तो यह एक आदर्श स्थिति है। पानी घुंट घुंट पीएं। एक साथ बहुत ज्यादा पानी नहीं पीएं।

 
4.प्राणायाम करें या उचित रूप से श्वास लें :
जिस तरह पानी का कार्य भोजन को पचाना और वजन को घटाना होता है उसी तरह वायु का काम भी भोजन को पचाकर बाहर निकालना होता है। यदि आप उचित रूप से श्‍वास लेकर बाहर छोड़ नहीं रहे हैं तो भोजन को पचने में देर लगेगी। यदि आप उचित रूप से श्वास नहीं ले पा रहे हैं तो प्राणायाम का अभ्यास करें। अनुलोम विलोम करने से भोजन जल्दी से पचता है।
 
आप अपनी श्वास प्रश्वास पर ध्यान देंगे तो पता चलेगा की वह उचित तरीके से चल नहीं रही है। आप बार गले के नीचे तक ही लेकर छोड़ देते हैं। कभी-कभार ही फेफड़े पूर्ण वायु से भर पाते होंगे। दिन में पेट तक हवा जाना या श्‍वास खींचना को बहुत मुश्किल से ही हो पाता हो होगा। ऐसे में जब आप सो जाते हैं तब ही आपकी श्वास अच्छे से जलती है। कई बार क्रोध में, चिंता में या बुरे विचारों के कारण हमारी श्वास की गति बदल जाती है। इसे पाचन क्रिया बाधित होती है।

 
5.उपवास या उचित नियम
पाचन क्रिया को कभी-कभी विराम भी देना होता है। इसके लिए आप सप्ताह में एक बार उपवास जरूर रखें। उपवास के दौरान आप कुछ भी खाएं नहीं। इस दौरान आप फल या सब्जी का ज्यूस पी सकते हैं। यदि आप ऐसा नहीं कर सकते हैं तो आप प्रतिदिन 16 घंटे का उपवास रखें।
 
16 घंटे के उपवास का मतलब यह कि आप रात को जब खाना खाएं तो 16 घंटे बाद अगले दिन भोजन करें। मतलब यह कि आपके डिनर और लंच के बीच 16 घंटे का फासला हो और इस बीच आप चाय, दूध या किसी भी प्रकार का ज्यूस ना पीएं। हां आप नींबू पानी ले सकते हैं। दरअसल यह उपवास नहीं है। बस इस तरह की जीवन शैली में आपको सुबह की चाय और नाश्ता ही छोड़ना पड़ेगा। अब अपने शरीर के लिए इतना तो कर सही सकते हैं आप। यही उचित नियम है।
 
योग पैकेज : सूर्य नमस्कार, नौकासन, पवनमुक्तासन, अर्ध-मत्स्येन्द्रासन, वक्रासन धनुरासन और भुजंगासन में से किसी दो का चयन कर इसे नियमित करें। इसके अलावा कुछ और योग क्रियाएँ करें। कब्ज के लिए योग में कुंजल कर्म और शंख प्रक्षालन का प्रावधान भी है, जिसे योग चिकित्सक की सलाह अनुसार करें।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

World Malaria Day : कब और क्यों मनाया जाता है विश्व मलेरिया दिवस, जानें लक्षण, बचाव और उपाय