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वारुणि पर्व कब है और क्यों मनाया जाता है यह त्योहार?

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WD Feature Desk

, बुधवार, 26 मार्च 2025 (10:16 IST)
2025 varuni parv : वारुणि पर्व एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को वरुणी योग के नाम से भी जाना जाता है। वारुणि पर्व एक ऐसा त्योहार है जो हमें जल के महत्व को याद दिलाता है। हमें जल का संरक्षण करना चाहिए और इसका सदुपयोग करना चाहिए। इस वर्ष यह व्रत चैत्र कृष्ण त्रयोदशी पर गुरुवार, 27 मार्च को मनाया जाएगा।ALSO READ: शनि का मीन राशि में गोचर, 12 राशियों का राशिफल, किसे होगा फायदा और किसे नुकसान
 
वारुणि पर्व का महत्व: यह त्योहार जल के देवता वरुण देव को समर्पित है। वरुणी पर्व को महा वरुणी योग भी कहा जाता है। यह पर्व हिन्दू धर्म में एक पवित्र और शुभ दिन माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। वारुणि पर्व के दिन शिक्षा संबंधित कार्य, नए बिजनेस की शुरुआत तथा मकान, दुकान, प्लॉट आदि खरीदना शुभ रहता है।
 
इसका वर्णन पुराणों में मिलता है वारुणि योग चैत्र माह में बनने वाला एक अत्यंत पुण्यप्रद महायोग है। और यह महायोग तीन प्रकार का होता है, चैत्र कृष्ण त्रयोदशी को वारुण नक्षत्र यानी शतभिषा हो तो वारुणि योग बनता है। वैदिक ज्योतिष में इस योग को अत्यंत दुर्लभ माना गया है। चैत्र कृष्ण त्रयोदशी को शतभिषा नक्षत्र और शनिवार हो तो महावारुणि योग बनता है और चैत्र कृष्ण त्रयोदशी को शतभिषा नक्षत्र, शनिवार और शुभ नामक योग हो तो महा-महावारुणि योग बनता है। 

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वारुणि पर्व मनाने के कारण: पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन समुद्र मंथन के दौरान कई बहुमूल्य रत्न प्राप्त हुए थे। यह भी माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने वरुणावतार लिया था। मान्यतानुसार इस दिन किए गए स्नान और दान से कई सूर्यग्रहण में दिए दान के बराबर फल प्राप्त होता है।ALSO READ: पापमोचनी एकादशी व्रत की पूजा विधि, उपवास रखने के मिलेंगे 10 फायदे
 
वारुणि पर्व के दिन क्या करें?
- इस दिन तीर्थों में गंगा स्नान करना शुभ माना जाता है, अत: पवित्र नदियों में स्नान करें।
- भगवान वरुण देव की पूजा करें।
- यदि पवित्र नदी तट पर न नहा पाएं, तो घर में ही पवित्र नदियों का जल नहाने के पानी में मिलाकर नहाना चाहिए। 
- इस दिन शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाएं।
- शिव जी को बिल्वपत्र तथा मदार के पुष्प अर्पित करें। 
- मौसम के मुताबिक ऋतुफल चढ़ाएं।
- दान-पुण्य करें।
- गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।
- भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
- इस दिन व्रत रखकर रात्रि के समय तारों को अर्घ्य देकर भोजन करें। 
- पाप और ताप के शमन हेतु इस दिन दीपदान, यज्ञ, अनुष्ठान तथा हवन आदि करें। 
- शीघ्र विवाह हे‍तु शिवलिंग पर 1-2 केले चढ़ाकर वही बैठकर शिव पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: कब मनाया जाएगा श्रीराम जन्मोत्सव, जानें पूजन के मुहूर्त, विधि और महत्व

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