Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(रुक्मिणी अष्टमी)
  • तिथि- पौष कृष्ण अष्टमी
  • शुभ समय- 6:00 से 7:30 तक, 9:00 से 10:30 तक, 3:31 से 6:41 तक
  • व्रत/मुहूर्त-रुक्मिणी अष्टमी, किसान दिवस
  • राहुकाल-प्रात: 7:30 से 9:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

onam 2024 : थिरुवोणम दस दिवसीय ओणम महोत्सव एवं परंपरा की 15 खास बातें

हमें फॉलो करें onam 2024 : थिरुवोणम दस दिवसीय ओणम महोत्सव एवं परंपरा की 15 खास बातें

WD Feature Desk

, शनिवार, 14 सितम्बर 2024 (09:55 IST)
onam 2024
Highlights  
 
2024 में कब होगा ओणम का प्रारंभ।
ओणम पर्व कब मनाया जाएगा।
ओणम महोत्सव कर परंपरा जानें।

ALSO READ: Onam 2024: ओणम कब है और क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त?
 
Onam Festival : इस वर्ष ओणम का पर्व 15 सितंबर 2024, दिन रविवार को मनाया जाएगा। मान्यतानुसार यह पर्व असुर राजा बलि के सम्मान में मनाया जाता है। जहां भार‍त विविध धर्मों, जातियों तथा संस्कृतियों का देश है, वहीं यहां हर त्योहार को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। केरल प्रांत का यह मलयाली पर्व 'ओणम' सर्वधर्म समभाव के प्रतीक होने के साथ ही राजा बलि की आराधना का दिन होता है। यह त्योहार समाज में सामाजिक समरसता, प्रेम और भाईचारे के संदेश  की भावना दुनियाभर में पहुंचा कर देश की एकता और अखंडता को मजबूत करने की प्रेरणा देता है।
 
ओणम खास तौर पर दक्षिण भारत, केरल में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। मान्यतानुसार ओणम यानि थिरुओणम/थिरुवोण/थिरुवोणम 10 दिवसीय ओणम महोत्सव होता है, जब ओणम के दिन ही राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने के लिए आते हैं। अत: राजधानी महाबलीपुरम के राजा बलि के आने की खुशी में ही ओणम थिरुवोण पर्व मनाया जाता है। बता दें कि वर्ष 2024 में ओणम की शुरुआत शुक्रवार, 6 सितंबर से होगी और 15 सितंबर को रविवार को 'थिरुवोणम' मनाया जाएगा। इसीलिए स्वागत में ही यह पर्व मनाया जाता है। 
 
आइए जानते हैं यहां ओणम परंपरा की 15 रोचक बातें : 
 
1. ओणम पर्व पर राजा बलि के स्वागत के लिए घरों में आकर्षक साज-सज्जा, फूलों की रंगोली और कई तरह के पकवान बनाकर भोग अर्पित किया जाता है।
 
2. इस पर्व में लोग घर के आंगन में महाबलि की मिट्टी की बनी त्रिकोणात्मक मूर्ति पर अलग-अलग फूलों से चित्र बनाते हैं, जितनी भी कलाकृतियां इन दिनों बनाई जाती हैं उसे महाबलि के चले के बाद ही हटाई जाती हैं।
 
3. ओणम के दिन नारियल के दूध व गुड़ से पायसम, केले का हलवा, नारियल चटनी, चावल के आटे को भाप में पका कर और कई तरह की सब्जियां मिलाकर अवियल, आदि बनाकर 64 प्रकार के पकवान बनाने की परंपरा है।
 
4. ओणम पर्व के दिनों में हर घर के सामने रंगोली सजाने और दीपक जलाने की भी परंपरा हैं।
 
5. महिलाएं ओणम पर्व के दिन आंगन में फूलों की रंगोली बनाती है, जिसे ओणमपुक्कलम कहते हैं।
 
6. हर घर में विशेष पकवान बनाए जाते हैं। खास तौर पर चावल, गुड़ और नारियल के दूध को मिलाकर खीर बनाई जाती है।
 
7. ओणम पर्व नई फसल के आने की खुशी में मनाया जाता है।
 
8. ओणम पर्व पर कई तरह की सब्जियां, सांभर आदि भी बनाया जाता है।
 
9. केरल के पारंपरिक भोज को ओनसद्या कहा जाता है, जिसे केले के पत्ते पर परोसना शुभ माना गया है।
 
10. इन दिनों फूलों की रंगोली को दीये की रोशनी के साथ सजाया जाता है और खीर (आऊप्रथमन) पकाई जाती है।
 
11. केरल में 10 दिन तक चलने वाला ओणम उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
 
12. इस पर्व पर मलयाली समुदाय के लोग एक-दूसरे को गले मिलकर शुभकामनाएं देते हैं। साथ ही परिवार के लोग और रिश्तेदार इस परंपरा को साथ मिलकर मनाते हैं।
 
13. मलयाली समाज द्वारा केरल में मनाया जाने वाला ओणम का दस दिनों का त्योहार है, जो हस्त नक्षत्र से शुरू होकर श्रवण नक्षत्र तक जारी रहता है।
 
14. कहा जा सकता हैं कि साद्य के बिना ओणम अधूरा है। साद्य में विशेष और लजीज पकवानों से राजा बलि को प्रसन्न किया जाता है। 
 
15. इस बार ओणम थिरुवोण पर्व 2024 के अंतर्गत पहला ओणम 14 सितंबर, शनिवार, थिरुवोणम 15 सितंबर, रविवार तथा तीसरा ओणम 16 सितंबर, सोमवार और चौथा ओणम 17 सितंबर, मंगलवार को मनाया जाएगा। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

गणेश उत्सव पर भगवान गणपति को आठवें दिन कौन सा भोग लगाएं, प्रसाद चढ़ाएं