Neeraj Chopra Mother on Arshad Nadeem : भारत और पाकिस्तान का इतिहास विवादों से भरा हुआ है, राजनीतिक तनाव की वजह से दोनों देशों में दूरियां रहती है लेकिन मां की ममता और खेल भावना ये दो ऐसी चीज हैं जिनके लिए कोई सीमा नहीं होती। पेरिस ओलंपिक के भाला फेंक फाइनल में टोक्यो गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा अपना स्वर्ण पदक तो डिफेंड नहीं कर पाए लेकिन उन्होंने सिल्वर मेडल जीत कर फिर एक बार भारत को गौरवान्वित किया है।
वहीं, पाकिस्तान के अरशद नदीम ने गोल्ड जीत कर कई रिकॉर्ड बनाए। अरशद नदीम ने ओलंपिक रिकॉर्ड तोड़ने के लिए 92.97 मीटर फेंका, जो 2008 बीजिंग ओलंपिक में एंड्रियास थोरकिल्डसन के 90,57 मीटर के रिकॉर्ड के साथ था। चोपड़ा ने 89.45 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो फेंककर भारत को रजक पदक दिलाया। उसके बाद नीरज चोपड़ा की मां सरोज देवी ने जो बात कही उस बात ने सिर्फ भारतियों का ही नहीं बल्कि पाकिस्तान के लोगों का भी दिल छू लिया है।
ANI न्यूज एजेंसी ने उनकी मां के रिएक्शन का एक वीडियो शेयर किया है, उस वीडियो में उनकी मां ने कहा कि हम हमारे बच्चे के प्रदर्शन से काफी खुश हैं, हमारे लिए सिल्वर भी गोल्ड जैसा है और अरशद नदीम भी हमारा बच्चा है।
उन्होंने कहा ''हम बहुत खुश हैं. हमें तो सिल्वर भी गोल्ड जैसा लग रहा है.'' पत्रकार ने जब अरशद नदीम के बारे में बात की तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा, ''कोई बात नहीं जी. जो गोल्ड ले गया है वो भी हमारा लड़का है. मेहनत करके हासिल किया है. हर खिलाड़ी का दिन होता है. वह चोटिल था, इसलिए हम उसके प्रदर्शन से खुश हैं. जब वो आएगा तो मैं उसका पसंदीदा खाना बनाऊंगी."
पिछले ओलंपिक (Tokyo Olympics) में जब नीरज गोल्ड लेकर आए थे, तब उनकी मां ने उनके लिए 'चूरमा' बनाया था। नीरज को चूरमा बहुत पसंद है।
पिछली बार नीरज चोपड़ा ने जब टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था, तब उन्होंने उनका पसंदीदा डिश 'चूरमा' के साथ स्वागत किया था. नीरज को बचपन से ही 'चूरमा काफी रास आता है. यही वजह है कि जब वह घर पहुंचते हैं तो उनकी मां उनके लिए 'चूरमा' बनाती हैं.
कांस्य पदक ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स ने जीता। उन्होंने फाइनल राउंड में 88.54 मीटर दूर थ्रो किया था।
अरशद नदीम की जीत ओलंपिक में पाकिस्तान का पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक है। उनकी पुरुष हॉकी टीम ने तीन स्वर्ण जीते थे। लेकिन इनमें से आखिरी स्वर्ण 40 साल पहले 1984 में लॉस एंजिल्स में आया था! यह 32 वर्षों में ओलंपिक में पाकिस्तान का पहला पदक भी है।