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हिंदी में जवाब देने के आदी नीरज ने क्यों कहा अब अंग्रेजी सीखनी पड़ेगी?

हमें फॉलो करें हिंदी में जवाब देने के आदी नीरज ने क्यों कहा अब अंग्रेजी सीखनी पड़ेगी?

WD Sports Desk

, शुक्रवार, 9 अगस्त 2024 (18:00 IST)
UNI

खेल के मैदान पर अपनी कड़ी प्रतिद्वंद्विता के लिए जाने जाने वाले नीरज चोपड़ा ऐसे सुपरस्टार है जो दिखावा करना पसंद नहीं करते।भारत के लिए दो ओलंपिक पदक जीतने वाले इस खिलाड़ी ने गुरुवार को यहां रजत पदक जीतने के बाद संवाददाता सम्मेलन में अपने हाजिर जवाब और वाकपटुता से सबका दिल जीत लिया। मीडिया से 17 मिनट का उनका सत्र सवाल-जवाब से कही अधिक था।

लगभग 50 पत्रकारों से भरे कमरे में जब किसी ने नीरज से पूछा कि आपका पहला थ्रो फाउल हो गया और दूसरा.... नीरज ने पत्रकार को यही रोकते हुए कहा, ‘‘ सारी थ्रो फाउल थी सर सिर्फ दूसरी ही ठीक थी।’’

उनके इस जवाब से सब के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।भारत और पाकिस्तान के पत्रकारों की ज्यादा संख्या के कारण यहां सवाल जवाब हिंदी में चल रहा था लेकिन जब एक वालंटियर ने उनसे अन्य देशों के पत्रकारों की समझ के लिए अंग्रेजी में जवाब देने की गुजारिश की तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, ‘‘अब मुझे खुद को अंग्रेजी में बोलने के लिए प्रेरित करने की जरूरत है, जैसे मैं खुद को प्रतिस्पर्धा के लिए प्रेरित करता हूं।’’

एक विदेशी पत्रकार ने उनसे अंग्रेजी में जवाब देने के अनुरोध से साथ पूछा, ‘‘क्या आप अपने और नदीम को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच प्रतिस्पर्धा का वर्णन कर सकते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह वास्तव में एक शानदार प्रतियोगिता थी। शायद इतिहास की सबसे बड़ी प्रतियोगिताओं में से एक। अरशद ने वास्तव में अच्छा थ्रो किया। मैं भी अच्छी स्थिति में था। लेकिन पता नहीं क्यों मैं आज अच्छे से रनअप नहीं ले पा रहा था।’’

पेरिस ओलंपिक से पहले नीरज ने खुद को फिट रखने के लिए कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा नहीं लिया था और इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘ बेशक मुझे और अधिक खेलने की जरूरत है लेकिन मैं सावधानी बरतते (चोट से बचते हुए) हुए प्रतियोगिताओं में भाग ले रहा था। कुछ प्रतियोगिताओं में मैं सिर्फ आयोजकों की खातिर खेला है ताकि उन्हें बुरा नहीं लगे। मैं सोचता रहता हूं कि मैंने प्रतियोगिता में प्रवेश किया है और अगर मैं नहीं गया, तो वे कहेंगे कि मैं बहाने बना रहा हूं। व्यक्तिगत रूप से मुझे अच्छा लगता है जितना संभव हो उतना प्रतिस्पर्धा करना।’’

उन्होंने हंसते हुए कहा, ‘‘मैं योजनाएं बनाता हूं लेकिन फिर आप अपनी टीम से कहते हैं, ‘चलो एक अच्छा संदेश तैयार करें, इस टूर्नामेंट से बाहर निकलने का खेद है।’’

नीरज ने कहा, ‘‘खेलने से बड़ी कोई खुशी नहीं है। आप केवल प्रतिस्पर्धा करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। भगवान ने मुझे जो भी ताकत दी है मैं करता हूं।’’
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अपने खेल और ‘ब्रांड एंडोर्समेंट’ के बारे में सामंजस्य बनाने के बारे मे पूछे जाने पर नीरज ने ईमानदारी से कहा, ‘‘तोक्यो के बाद मैंने अपने खेल को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखा है और इसके बाद ही मुझे कई ब्रांड के साथ जुड़ने का मौका मिला। हमारे लिए यह मुश्किल है कि ब्रांड आपके पीछे आएं और अगर आपको कुछ मिल रहा है तो आप वह मौका क्यों छोड़ेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह बच्चों (अगली पीढ़ी) के लिए भी रास्ता खोलता है, नहीं तो शरीर ही टूटेगा खेल-खेल में, आखिरी में कुछ नहीं रहेगा।’’नीरज ने कहा, ‘‘इसलिए मैं इसे संतुलित करता हूं। प्राथमिकता खेल है। यह एक ओलंपिक वर्ष था, इसलिए मेरी जो भी प्रतिबद्धताएं थीं, मैंने छह महीने पहले ही पूरी कर ली थी।’’(भाषा)

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