जब भी कोई भारतीय ओलंपिक में कोई उपलब्धि हासिल करता है तो उनका नाम हमेशा सामने आता है। मंगलवार को ब्रिटिश-भारतीय नॉर्मन प्रिचार्ड फिर से चर्चा में थे जब निशानेबाज मनु भाकर एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली स्वतंत्र भारत की पहली खिलाड़ी बनीं।
प्रिचार्ड ने स्वतंत्रता से पहले वर्ष 1900 में पेरिस में ही हुए ओलंपिक खेलों में 200 मीटर फर्राटा और 200 मीटर बाधा दौड़ में रजत पदक जीतकर इतिहास रचा था।
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने प्रिचार्ड को भारतीय के रूप में सूचीबद्ध किया है तो वहीं विश्व एथलेटिक्स (पूर्व में आईएएएफ) ने उनके ओलंपिक पदकों का श्रेय ब्रिटेन को दिया है।
प्रिचार्ड का जन्म 1875 में तत्कालीन कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ था और 1929 में 54 वर्ष की आयु में लॉस एंजिल्स में उनकी मृत्यु हुई।
आईओसी ने माना कि उनकी राष्ट्रीयता के सवाल का जवाब देना आसान नहीं है।
Olympics.com वेबसाइट के अनुसार, नॉर्मन प्रिचार्ड एक विवादास्पद ओलंपियन हैं क्योंकि ब्रिटेन और भारत दोनों ने दावा किया है कि उन्होंने 1900 ओलंपिक में उनके लिए प्रतिस्पर्धा की थी।
इसमें कहा गया, हालांकि वह 1900 ओलंपिक में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के बराबर नहीं थे लेकिन वह एक बेहतरीन धावक और बाधा दौड़ खिलाड़ी थे जिन्होंने लगातार सात वर्षों (1894-1900) तक बंगाल का 100 गज का खिताब जीता और 440 गज तथा 120 गज की बाधा दौड़ में बंगाल के चैंपियन भी रहे जो भारतीय दावे का समर्थन करता है।
जाने-माने ब्रिटिश ओलंपिक इतिहासकार इयान बुकानन के अनुसार प्रिचार्ड का जन्म भारत में हुआ था लेकिन वह निर्विवाद रूप से ब्रिटिश थे। उन्हें ओलंपिक पदक जीतने वाले एशिया में जन्में पहले खिलाड़ी के रूप में भी वर्णित किया जाता है।
प्रिचार्ड पदक के तुरंत बाद अभिनय में अपना करियर बनाने के लिए अमेरिका चले गए और नॉर्मन ट्रेवर के नाम से 27 मूक हॉलीवुड फिल्मों में दिखाई दिए।
आईएएएफ की 2019 में जारी हैंडबुक में प्रिचार्ड के रजत पदक ग्रेट ब्रिटेन को दिए गए थे। भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) ने उन्हें भारतीय एथलेटिक्स के हॉल ऑफ फेम में शामिल किया है।
इस दिवंगत खिलाड़ी पर लिखे गए नोट में कहा गया है, वह भारत लौट आए लेकिन 1905 में स्थायी रूप से इंग्लैंड चले गए। बाद में हॉलीवुड में अपनी पहचान बनाने के लिए वह अमेरिका चले गए और वहां उन्होंने नॉर्मन ट्रेवर के रूप में एक नया नाम अपनाते हुए कई फिल्मों में अभिनय किया।
इसमें कहा गया, एक ही जीवन में दो नामों वाला व्यक्ति एथलेटिक्स में असामान्य है लेकिन प्रिचार्ड को कई लोग ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय के रूप में जानते हैं।
इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ ओलंपिक हिस्टोरियंस के सदस्य जाने-माने भारतीय एथलेटिक्स सांख्यिकीविद् मुरली कृष्णन ने कहा कि अब यह तय हो चुका है कि प्रिचार्ड ने एक भारतीय के रूप में प्रतिस्पर्धा की थी क्योंकि आईओसी उन पदकों का श्रेय भारत को देता है।
उन्होंने कहा, ग्रेट ब्रिटेन के एथलीट के रूप में उनका नाम दर्ज किए जाने का कुछ संबंध इस तथ्य से हो सकता है कि एथलेटिक्स की वैश्विक संचालन संस्था का मुख्यालय मोनाको में स्थानांतरित होने से पहले एक समय लंदन में स्थित था। (भाषा)