पितृ पक्ष पर वाराणसी में गंगा नदी के तट पर तर्पण अनुष्ठान
पितृ पक्ष में तर्पण और पिंडदान का बड़ा महत्व है। वाराणसी में पवित्र गंगा नदी के तट पर अपने पूर्वजों के लिए तर्पण अनुष्ठान करते लोग।
पितरों के लिए किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध तथा तंडुल या तिल मिश्रित जल अर्पित करने की क्रिया को तर्पण कहते हैं।
श्राद्ध के 12 प्रकार हैं- नित्य, नैमित्तिक, काम्य, वृद्धि, पार्वण, सपिंडन, गोष्ठ, शुद्धि, कर्मांग, दैविक, यात्रा और पुष्टि।
उसी तरह तर्पण के 6 प्रकार हैं- 1. देव-तर्पण 2. ऋषि-तर्पण 3. दिव्य-मानव-तर्पण 4. दिव्य-पितृ-तर्पण 5. यम-तर्पण 6. मनुष्य-पितृ-तर्पण।