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छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना करने की है परंपरा

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पटना। लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ के दूसरे दिन खरना करने की परंपरा रही है और इस दिन प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रत करने वाले छठ पूजा पूर्ण होने के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करते हैं।
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बिहार में लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ के आज दूसरे दिन राजधानी पटना समेत राज्य के विभिन्न इलाकों में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा नदी समेत अन्य नदियों और तालाबों में स्नान किया।
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व्रत का आज दूसरा दिन है इस दिन खरना व्रत की परंपरा निभाई जाती है, जो कार्तिक शुक्ल की पंचमी तिथि होती है। छठ में खरना का अर्थ है शुद्धिकरण। खरना के बाद व्रती 36 घंटे का व्रत रखकर सप्तमी को सुबह अर्घ्य देते हैं।
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खरना के दिन खीर गुड़ तथा साठी का चावल इस्तेमाल कर शुद्ध तरीके से बनाई जाती है। खीर के अलावा खरना की पूजा में मूली तथा केला रखकर पूजा की जाती है। इसके अलावा प्रसाद में पूरियां, गुड़ की पूरियां तथा मिठाइयां रखकर भी भगवान को भोग लगाया जाता है।
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छठ मइया को भोग लगाने के बाद ही इस प्रसाद को व्रत करने वाला व्यक्ति ग्रहण करता है। खरना के दिन व्रती का यही आहार होता है। खरना के दिन बनाया जाने वाला खीर प्रसाद हमेशा मिट्टी के नए चूल्हे पर बनता है। (वार्ता)