भारतीय संसद के राज्यसभा में विपक्ष के नेता और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली एक अनुभवी राजनेता के साथ-साथ जाने-माने वकील भी हैं। इनका जन्म 28 दिसंबर 1952 को नई दिल्ली के नारायणा विहार इलाके के मशहूर वकील महाराज किशन जेटली के घर हुआ।
इनकी प्रारंभिक शिक्षा नई दिल्ली के सेंट जेवियर स्कूल में हुई। 1973 में इन्होंने श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से कॉमर्स में स्नातक की पढ़ाई पूरी की और लॉ की पढ़ाई करने के लिए 1977 में दिल्ली विश्वविद्यालय में लॉ विभाग में दाखिला ले लिया।
वे पढा़ई के दौरान शिक्षण व अन्य कार्यक्रमों में भी भाग लेते रहे। 1974 में वे दिल्ली विश्वविद्यालय के विद्यार्थी संघ के अध्यक्ष चुन लिए गए। इसी के साथ उनके राजनीतिक करियर की भी शुरुआत हो गई।
1974 में अरुण जेटली अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए। 1975 में आपातकाल के दौरान आपातकाल का विरोध करने के बाद उन्हें 19 महीनों तक नजरबंद रखा गया। 1973 में उन्होंने जयप्रकाश नारायण और राजनारायण द्वारा चलाए जा रहे भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई।
आपातकाल के बाद 1977 में वे हाईकोर्ट में अपनी वकालत की तैयारी करने लगे। सुप्रीम कोर्ट में जाने से पहले उन्होंने देश के कई उच्च न्यायालयों में अपनी तैयारी पूरी की। 1990 में अरुण जेटली ने उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठ वकील में रूप में अपनी नौकरी शुरू की। वीपी सिंह सरकार में उन्हें 1989 में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया। उन्होंने बोफोर्स घोटाले की जांच में पेपरवर्क भी किया। उन्होंने लॉ के कई लेख लिखे हैं।
1991 में वे भारतीय जनता पार्टी के सदस्य बन गए। 1999 के आम चुनाव में वे बीजेपी के प्रवक्ता बने और बीजेपी की केंद्र में सरकार आने के बाद उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया। इसके बाद उन्हें विनिवेश का स्वतंत्र राज्यमंत्री बनाया गया।
राम जेठमलानी के कानून, न्याय और कंपनी अफेयर मंत्रालय छोड़ने के बाद जेटली को इस मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया। साल 2000 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें कानून, न्याय, कंपनी अफेयर तथा शिपिंग मंत्रालय का मंत्री बनाया गया। 2004 के बाद अरुण जेटली पुन: अपने वकीली पेशे में आ गए। 2006 में जेटली गुजरात से राज्यसभा के सदस्य बने। उन्होंने संविधान के 84वें और 91वें संशोधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2009 में जेटली राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बने, जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में अमृतसर से हार गए, लेकिन केन्द्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने भरोसा जताते हुए उन्हें वित्तमंत्री के महत्वपूर्ण पद से नवाजा। कुछ समय बाद उन्होंने रक्षामंत्री का दायित्व भी निभाया। हालांकि अस्वस्थता के चलते मोदी सरकार-2 में मंत्री पद लेने से इंकार कर दिया।