Tulsi Silavat Hindi Profile : छात्र जीवन से राजनीति की शुरुआत करने वाले तुलसी सिलावट (Tulsi Silavat) सिंधिया परिवार के करीबी माने जाते हैं। कांग्रेस नेता माधवराव सिंधिया के बाद वे ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास हो गए। ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद सिलावट भी कांग्रेस का साथ छोड़ कमल वाली पार्टी में चले गए। तुलसी सिलावट जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं। तुलसी सिलावट का मालवा-निमाड़ क्षेत्र में खासा प्रभाव माना जाता है। 35 साल से तुलसी सिलावट इंदौर की जिले में आने वाली सांवेर सीट को अपनी राजनीति की कर्मभूमि बनाए हुए हैं।
जन्म और शिक्षा : तुलसी सिलावट का जन्म 5 नवंबर 1954 को ग्राम पिवडाय, जिला इंदौर में हुआ। सिलावट ने राजनीति शास्त्र से एमए किया है। सिलावट 1977-78 एवं 1978-79 में शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय इंदौर के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे। तुलसी सिलावट पहली बार 1982 में नगर निगम में पार्षद बने। 1998 से 2003 तक मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष रहे। कांग्रेस ने उन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी उपाध्यक्ष बनाया।
कांग्रेस छोड़ भाजपा में : तुलसीराम सिलावट ने 25 दिसंबर 2018 को कमलनाथ के मंत्रिमंडल में मंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी। उन्हें जल संसाधन और मछुआरा कल्याण विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी। 2020 में उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया का समर्थन किया और इस्तीफा देने वाले 22 विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा सरकार में सिलावट को जल संसाधन और सार्वजनिक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री बनाया गया।
5 बार विधायक : सांवेर सीट से 5 बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड तुलसी राम सिलावट के नाम हैं। 1985 में तुलसी सिलावट पहली बार विधायक बने। 1990 में भाजपा के प्रकाश सोनकर के हाथों तुलसी सिलावट को हार का सामना करना पड़ा। 2007 के उपचुनाव में वे फिर विधायक बने।
2008 में भी सिलावट तीसरी बार विधायक चुने गए। 2018 के विधानसभा निर्वाचन में सिलावट सांवेर (अजा) विधानसभा से चौथी बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए। तुलसीराम सिलावट ने सांवेर सीट से लगातार 2 विधानसभा चुनाव जीते। उन्होंने एक बार कांग्रेस और दूसरी बार भाजपा से चुनाव लड़ा। सांवेर सीट के लिए हुए 15वें विधानसभा उपचुनाव में तुलसी राम सिलावट ने कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू को रिकॉर्ड वोटों से पराजित किया।