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जौनपुर की चुनावी जंग, त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी सीट

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संदीप श्रीवास्तव

Jaunpur Lok Sabha constituency: उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल की जौनपुर लोकसभा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है। हालांकि यह सीट वर्तमान में बसपा के पास है, लेकिन बसपा ने इस बार वर्तमान सांसद श्याम सिंह यादव के स्थान पर श्रीकला सिंह को प्रत्याशी बनाया है। श्रीकला बाहुबली नेता और बसपा के पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी हैं। भाजपा ने यहां से पूर्व कांग्रेसी कृपाशंकर सिंह को टिकट दिया है। सिंह महाराष्ट्र के गृह राज्यमंत्री रह चुके हैं। 
 
समाजवादी पार्टी ने बाबू सिंह कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया है, जो कि पिछड़ी जाति से आते हैं। जौनपुर सीट पर पिछड़ी जाति के मतदाताओं की संख्या काफी है। दूसरी ओर, श्रीकला सिंह और कृपाशंकर सिंह राजपूत जाति से आते हैं। ऐसे में इनके वोट बंट भी सकते हैं, जिसका फायदा बाबू सिंह को मिल सकता है। इस सीट पर ब्राह्मणों की संख्या सबसे ज्यादा है, लेकिन तीनों प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवार गैर ब्राह्मण ही हैं। 
धनंजय का दबदबा : यूपी की राजनीति में पूर्व सांसद धनंजय सिंह की मजबूत पैठ मानी जाती है। राजपूत (क्षत्रिय) मतदाताओं के बीच उनकी अच्छी पकड़ है। जौनपुर लोकसभा क्षेत्र धनंजय सिंह की कर्मभूमि है। स्थानीय लोगों में इनकी छवि मददगार और समाजसेवी के रूप में है। वे स्वयं यहां से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन अपहरण व रंगदारी के केस मे 7 वर्ष की सजा होने के बाद जेल जाना पड़ा। यही कारण है कि उन्हें अपनी पत्नी श्रीकला को आगे करना पड़ा। श्रीकला को बसपा के कोर वोटर का भी फायदा मिल सकता है। 
 
कुशवाहा को पिछड़ों से उम्मीद : दूसरी ओर, कृपाशंकर सिंह ज्यादातर समय महाराष्ट्र में गुजरा है। स्थानीय राजनीति में उनकी पकड़ मजबूत नहीं है, लेकिन राम मंदिर और मोदी लहर का फायदा उन्हें मिल सकता है। कुछ जातिगत वोट भी उनके खाते में जा सकते हैं। जहां तक सपा उम्मीदवार का सवाल है तो उन्हें क्षेत्र के पिछड़े वोटरों से उम्मीद है।
कुशवाहा एक समय मे मायावती की सरकार मे मंत्री रह चुके हैं। उस समय उनक गिनती बहनजी के नवरत्नों में होती थी। कुशवाहा पर पर NRHM के तहत 5 हजार करोड़ के गोलमाल का आरोप भी लगा था। सीबीआई ने अन्य लोगों के साथ कुशवाहा को भी गिरफ्तार किया था। 
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क्षत्रिय सांसदों का बोलबाला : जौनपुर लोकसभा क्षेत्र के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो शुरू से लेकर अब तक क्षत्रिय प्रत्याशियों की जीत का प्रतिशत सबसे ज्यादा रहा है। 1952 में यहां से पहला चुनाव कांग्रेस के बीरबल से ने जीता था, वे इस सीट लगातार दो बार सांसद रहे। 1962 में यहां से जनसंघ ब्रह्मजीत सिंह सांसद बने। फिर कांग्रेस के राजदेव सिंह 3 बार सांसद बने।

यादवेन्द्र दत्त दुबे, अजीमुल्ला आजमी, कमला प्रसाद सिंह, पारसनाथ यादव, स्वामी चिन्मयानंद, कृष्ण प्रताप सिंह भी इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं। स्वामी चिन्मयानंद तो केन्द्र में गृह राज्यमंत्री रह चुके हैं। विगत लोकसभा चुनाव 2019 में जौनपुर लोकसभा सीट से बसपा के श्याम सिंह यादव अपने निकतम प्रतिद्वंदी भाजपा के कृष्ण प्रताप सिंह को 80 हजार 936 मतों से पराजित किया था। 
 
जातीय समीकरण : जौनपुर लोकसभा क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक 2.45 लाख है, मुस्लिम 2.25 लाख, अनुसूचित जाति 2.35 लाख, यादव 2.20 लाख, क्षत्रिय 1.95 लाख मतादाता है। इसके साथ ही यहां बौद्ध 0.20 फीसदी, ईसाई 0.18% प्रतिशत, जैन व सिख 0.05 प्रतिशत हैं। इस संसदीय सीट पर साक्षरता की 60% है।

5  विधानसभा क्षेत्र : जौनपुर लोकसभा सीट 5 विधानसभा क्षेत्रों में बंटी हुई है। इनमें बदलापुर, शाहगंज, जौनपुर, मल्हनी और मुंगरा बादशाहपुर हैं। 5 में से 2-2 सीटों पर भाजपा और समाजवादी पार्टी का कब्जा है, जबकि एक सीट पर एनपी का विधायक है।  
Edited by: Vrijendra Singh Jhala

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