Kapalbhati Yoga : योग के आठ अंगों में से चौथा अंग है प्राणायाम। प्राणायाम योग की एक क्रिया है। प्राणायाम के कई प्रकारों में से एक है कपालभाती। मस्तिष्क के अग्र भाग को कपाल कहते हैं और भाती का अर्थ ज्योति होता है। प्राणायामों में यह सबसे कारगर प्राणायाम माना जाता है। यह तेजी से की जाने वाली रेचक प्रक्रिया है।
कपालभाती प्राणायाम क्या है (Kapalbhati pranayam kya hai) : कपालभाती प्राणायाम को हठयोग के षट्कर्म क्रियाओं के अंतर्गत लिया गया है। ये क्रियाएं हैं:- 1. त्राटक 2. नेती. 3. कपालभाती 4. धौती 5. बस्ती और 6. नौली। आसनों में सूर्य नमस्कार, प्राणायामों में कपालभाती और ध्यान में विपश्यना का महत्वपूर्ण स्थान है। लेकिन कपालभाती प्राणायम को डायरेक्ट नहीं करते हैं। पहले अनुलोम विलोम का अभ्यास होने के बाद ही इसे करते हैं।
कपाल भाती प्राणायाम की सरल विधि (kapalbhati pranayam ki vidhi):
1. रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाएं।
2. दोनों हथेलियों को घुटनों पर रखों जो आकाश की ओर खुली रहेगी।
3. अब गहरी सांसों को बाहर छोड़ने की क्रिया करें।
4. सांसों को बाहर छोड़ने या फेंकते समय पेट को अंदर की ओर धक्का देना है। यानी नाभि को रीढ़ी की हड्डी की ओर खिंचना है।
5. उतना ही बल लगाएं, जितना सहजता से लग जाए।
6. ध्यान रखें कि श्वास लेना नहीं है क्योंकि उक्त क्रिया में श्वास स्वत: ही अंदर चली जाती है।
7. इस प्रक्रिया को 20 बार दोहराने पर एक राउंड पूरा हो जाएगा।
8. अंत में सहज होते हुए नाभि और पेट को ढीला छोड़ दें।
9. इस प्रक्रिया को 3 राउंड या 80 सांसों तक दोहराया जा सकता है।
10. पेट, छाती या गले में किसी भी प्रकार की समस्या हो तो यह प्राणायाम नहीं करें।
कपालभाती प्राणायाम के फायदे (kapalbhati pranayama ke fayde in hindi) : फेंफड़ों को मजबूत करने वाला यह प्राणायाम आपके चेहरे की झुर्रियां और आंखों के नीचे का कालापन हटाकर चेहरे की चमक बढ़ाता है। दांतों और बालों के सभी प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं। शरीर की चरबी कम होती है। कब्ज, गैस, एसिडिटी की समस्या में लाभदायक है। शरीर और मन के सभी प्रकार के नकारात्मक तत्व और विचार मिट जाते हैं।