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कोई व्यक्ति नहीं मरता है एकदम से, इस तरह मरता है वह

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अनिरुद्ध जोशी

, बुधवार, 6 अक्टूबर 2021 (19:07 IST)
योग कहता है कि जिस तरह हमारा जन्म एकदम से नहीं हुआ उसके लिए करीब 9 माह लगे हैं उसी तरह कोई भी व्यक्ति एकदम से नहीं मरता है। उसके लिए 9 से 14 दिन लग जाते हैं। योग कहता है कि यदि व्यक्ति की सामान्य मृत्यु हुई है तो उसे एक निश्‍चित समय पर पुन: जीवित किया जा सकता है, परंतु यह कार्य कोई सिद्ध ही कर सकता है। आओ जानते हैं कि किस तरह धीरे-धीरे मरता है व्यक्ति।
 
 
शरीर के भीतर वायु : जब कोई मर जाता है तो हम कहते हैं कि उसके प्राण निकल गए। प्राण निकलने का अर्थ आत्मा का निकलना नहीं होता है। उसका अर्थ वायु निकलना होता है। हमारे शरीर में यह वायु 10 तरह की होती है जिसमें से मूलत: यह 5 प्रकार की है।
 
सभी का शरीर पंच तत्वों से बना है। पृथ्‍वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। इसमें वायु के पांच तरह की है- 1. समान, 2 प्राण, 3. उदान, 4. अपान और 5. व्यान।
 
 
1. समान : समान नामक संतुलन बनाए रखने वाली वायु का कार्य हड्डी में होता है। हड्डियों से ही संतुलन बनता भी है। यह शरीर में तापमान बनाए रखने के लिए भी जिम्मेदार है।
 
2. प्राण : प्राण वायु हमारे शरीर का हालचाल बताती है। यह वायु मूलत: खून में होती है।
 
3. उदान : उदान का अर्थ उपर ले जाने वाली वायु। यह हमारे स्नायुतंत्र में होती है।
 
 
4. अपान : अपान का अर्थ नीचे जाने वाली वायु। यह शरीर के रस में होती है।
 
5. व्यान : व्यान का अर्थ जो चरबी तथा मांस का कार्य करती है। यह शरीर की प्रकृति को सुरक्षित रखता  है।
 
ऐसा माना जाता है कि जब व्यक्ति को डॉक्टर मृत घोषित कर देता है तो उसके अगले 20 से 25 मिनट में समान वायु बाहर निकलने लगती है। इसके बाहर निकल जाते के बाद शरीर का तापमान गिरने लगता है और हड्डियां अकड़ने लगती है। इसके बाद 50 से 65 मिनट के बीच प्राण बाहर निकलता है। इसके बाहर निकलने के बाद खून पानी या पीप में बदलने लगता है। उसके बाद 6 से 12 घंटे में उदान निकलता है। योगी कहते हैं कि उदान के निकलने के पहले योगिक क्रियाओं या तांत्रिक क्रियाओं के द्वारा व्यक्ति को पुन: जीवित किया जा सकता है बशर्ते की उसका शरीर सही हो। इसके उदान के बाहर निकल जाने के बाद ही सही में शरीर मृत हो जाता है।
 
 
इसके बाद है अपान जो करीब 8 से 18 घंटे के बीच बाहार निकल जाता है। इसके बाद व्यान बाहर निकलता है। सामान्य मृत्यु में यह 10 से 14 दिनों तक बाहार निकलता रहता है। 
 
प्राण, व्यान, अपान, समान आदि वायुओं से मन को रोकने और शरीर को साधने का अभ्यास करना अर्थात प्राणों को आयाम देना ही प्राणायाम है। प्राणायाम करने से शरीर लंबी उम्र प्राप्त करता है। वेद और योग में शरीर में 8 प्रकार की वायु का वर्णन मिलता है, जिनमें जीव विचरण करता है। प्राण को आयु भी कहते हैं अर्थात प्राणायाम से दीर्घायु हुआ जा सकता है। वेदों के अनुसार ब्रह्मांड में 7 प्रकार की वायु का उल्लेख मिलता है।
 

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