प्रयागराज। कुंभ नगरी प्रयागराज में चल रहे अर्धकुंभ में वैसे तो संतों के पंडालों में सामान्य प्रसाद और खाने-पीने की ही चीजें मिलती हैं, लेकिन आपको यह जानकार आश्चर्य होगा की यहां पांडालों में महंगे से महंगे प्रसाद का वितरण भी होता है। यानी जितना महंगा पंडाल उतना ही महंगा प्रसाद। इसके अलावा प्रसाद भी तरह तरह के वितरित किए जा रहे हैं।
विविधताओं से भरे कुंभ संगम में प्रसाद की जितनी विविधता मिलेगी उतनी आपको कहीं और नहीं। मेले में इन पंडालों के चक्कर काटते हुए आप अलग-अलग और अनूठे किस्म के प्रसादों का मजा ले सकते हैं। किस दिन किस पर्व पर भक्तों को क्या प्रसाद देना है यह मेले में आने से पहले ही साधुओं द्वारा तय कर लिया जाता है। कुछ पंडालों में तो प्रसाद वितरण की सूची रोज ही बदल जाती है। पंडालों में इलायची के दाने से लेकर बादाम के हलवे तक की व्यवस्था है।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि प्रसाद में कहीं लखनऊ की चिक्की, कहीं मथुरा के पेड़े, कहीं देशी घी में बने लड्डू, कहीं मेवों का हलवा, कहीं रसगुल्ले और कहीं बालूशाही का वितरण होता है। इन सबसे साथ ही आपको नमकीन खाने को भी मिल जाएगा।
आश्चर्य तो तब होता है जब आपके हाथ में अमेरिका से मंगवाया गया कोई फल होगा। कहा जा रहा है कि अमेरिका और यूरोप से अलग-अलग तरह के फल भक्तों के लिए मंगाए हैं। कुछ पांडालों में कॉफी के साथ भक्तों को विदेशी फलों का तोहफा दिया जा रहा हैं।
जहां तक भोजन का सवाल है तो यदि आप कुंभ का मजा ले रहे हैं तो भोजन करने की चिंता छोड़ दें। भोजन के समय आप अग्नि, आह्वाहन या जूना अखाड़े के किसी भी पंडाल चले जाएं आपको बढ़िया स्वादिष्ट भोजन मिलेगा। कहीं छोल और पूरी होता है कहीं दाल, चावल, रोटी, कहीं हलवा, पूरी और खीर खिलाई जा रही है तो कहीं एकदम सादा भोजन। आप भरपेट खाइये और वहीं प्रवचन सुनिए।