Mahakumbh 2025: महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का एक प्रमुख धार्मिक आयोजन है। यह मेला हर 12 वर्ष बाद चार पवित्र स्थानों पर आयोजित किया जाता है। इस दौरान संगम में स्नान का विशेष महत्व है। इस बार भी महाकुंभ में लाखों श्रद्धालुओं ने अमृत स्नान का लाभ लिया। आइए हम आपको बताते हैं अमृत स्नान का सनातन धर्म में क्या है इसका महत्व।
क्या है अमृत स्नान?
महाकुंभ के दौरान विशिष्ट तिथियों पर होने वाले स्नान को अमृत स्नान कहा जाता है। यह स्नान मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अमृत स्नान का धार्मिक महत्व
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मोक्ष की प्राप्ति: अमृत स्नान को मोक्ष प्राप्ति का सबसे सरल मार्ग माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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अश्वमेध यज्ञ के समान फल: ऐसा माना जाता है कि महाकुंभ में एक बार स्नान करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है।
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देवताओं का आशीर्वाद: मान्यता है कि अमृत स्नान के दौरान देवता भी पृथ्वी पर आते हैं और स्नान करते हैं। इसलिए इस समय स्नान करने से देवताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
अमृत स्नान का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो संगम के जल में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। इसके अलावा, महाकुंभ के दौरान यहां का वातावरण भी शुद्ध और सकारात्मक होता है, जो मानसिक शांति प्रदान करता है।