Maha Kumbh Snan 2025: प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन धूमधाम से चल रहा है। शाही स्नान महाकुंभ की एक पहचान और परंपरा है लेकिन इस बार महाकुंभ में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। अब से शाही स्नान को इस नाम से नहीं पुकार जाएगा। शाही स्नान का नाम बदलकर अमृत स्नान किया जा रहा है। आइए आपको बताते हैं क्या है इसके पीछे की वजह
शाही स्नान से अमृत स्नान क्यों?
6 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाकुंभ की तैयारियों का जायजा लेने और लोगो का अनावरण करने प्रयागराज पहुंचे थे। यहां उन्होंने संतों के साथ एक बैठक का आयोजन किया जिसमें संत मंडली ने योगी से महाकुंभ आयोजन से शाही स्नान और पेशवाई जैसे शब्दों को हटाने की मांग की थी।
संतों का कहना था कि ये शब्द 'मुगलिया' और 'गुलामी' का प्रतीक हैं, इसलिए इन्हें हटाया जाना चाहिए। दरअसल कुंभ-महाकुंभ मेले का वैभव अखाड़े होते हैं। अखाड़ों के संतों के स्नान को अब तक शाही स्नान और अखाड़े के आश्रम से मेला क्षेत्र को जाने को पेशवाई कहा जाता था। यह परंपरा सदियों से चली आ रही थी लेकिन अब इसे बदल दिया गया है। वैसे भी अमृत शब्द का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। अमृत को अमरत्व का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए अमृत स्नान को कुंभ के स्नान के लिए उचित शब्द है।
महाकुंभ मेला 2025 में अमृत स्नान की तिथियां :
नंबर |
दिनांक |
अमृत स्नान की तिथियां |
1. |
14 जनवरी 2025 |
प्रथम अमृत स्नान, मकर संक्रांति पर्व |
2. |
17 जनवरी 2025 |
पौष पूर्णिमा |
3. |
29 जनवरी 2025 |
माघी अमावस्या पर मुख्य अमृत स्नान |
4. |
13 फरवरी 2025 |
बसंत पंचमी |
5. |
26 फरवरी 2025 |
माघी पूर्णिमा, प्रयागराज कुंभ का अंतिम अमृत स्नान। |