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Prayagraj kumbh 2025: यदि प्रयागराज कुंभ नहीं जा पा रहे हैं तो यहां जाएं तीर्थ का पुण्य प्राप्त करने

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हमें फॉलो करें Prayagraj Maha Kumbh 2025

WD Feature Desk

, बुधवार, 12 फ़रवरी 2025 (17:50 IST)
Prayagraj Maha Kumbh 2025: कई लोग अभी तक प्रयागराज नहीं गए हैं कुंभ का स्नान करने क्योंकि भीड़ बहुत है। कई लोग आधे रास्ते से लौट आएं हैं और कई लोग अभी भी जाने का सोच रहे हैं। यदि आप भी इन्हीं में से एक हैं और प्रयागराज महाकुंभ में जाने से रह गए हैं तो जानिए कि वहां नहीं जाकर कहां जाकर आप तीर्थ स्नान का पुण्य लाभ ले सकते हैं।ALSO READ: प्रयाग कुंभ से लौटने के बाद घर पर जरूर करें ये 5 कार्य तभी मिलेगा तीर्थ स्नान का लाभ
 
1. काशी: यदि उत्तर प्रदेश में गंगा स्नान ही करना चाहते हैं तो काशी यानी वाराणसी चले जाएं। विश्‍व की सबसे प्राचीन प्रसिद्ध नगरी काशी में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा विश्‍वनाथ का ज्योतिर्लिंग है। शिव और काल भैरव की यह नगरी अद्भुत है जिसे सप्तपुरियों में शामिल किया गया है। दो नदियों 'वरुणा' और 'असि' के मध्य बसे होने के कारण इसका नाम 'वाराणसी' पड़ा। गंगा के किनारे बसे इस नगर में देखने लायक बहुत कुछ है।
 
2. वृंदावन: मथुरा के पास‍ स्थित वृंदावन श्रीकृष्णी की लीला भूमि है। यहां पर बांके बिहारीजी का मंदिर है। इसके अलावा रंगनाथ मंदिर, केशी घाटी, मदनमोहन मंदिर, गोविंद देव मंदिर, श्रीराधा बिहारी आस्था सखी मंदिर, निधिवन, प्रेम मंदिर, हरे रामा हरे कृष्‍ण मंदिर, इस्कॉन मंदिर, पागल बाबा मंदिर आदि अनेक प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है। यहीं पर यमुना नदी बहती है। 
 
3. हरिद्वार: गंगा के तट पर बसा यह नगर बहुत ही खूबसूरत और प्राकृतिक छटा से परिपूर्ण है। यहां पर भी गंगा स्नान करके पुण्य लाभ ले सकते हैं। गंगा तट पर बसी तीर्थ और कुंभ नगरी हरिद्वार में कई प्राचीन मंदिर, आश्रम और तपोवन है। यहां पर शक्ति त्रिकोण है अर्थात माता के तीन प्रमुख मंदिर है। मनसा देवी, चंडी देवी और महामाया शक्तिपीठ। गंगा के तट पर ब्रह्मकुंड नामक तट है जहां पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। यहीं पर कई प्राचीन मंदिर और स्थान है। उन्हीं में से एक है गंगा मंदिर। हरिद्वार तट पर ब्रह्मकुंड के समीप गंगा मंदिर है। यहां गंगा आरती को देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं। हालांकि ऋषिकेश में भी आरती होती है।ALSO READ: महाकुंभ से लौट रहे हैं तो साथ लाना ना भूलें ये चीजें, घर आती है समृद्धि
 
4. ऋषिकेश: यहां पर भी गंगा स्नान कर सकते हैं। ऋषिकेश हरिद्वार से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर है, जिसे पूरे एक दिन में घूमा जा सकता है। वैसे तो यहां काफी दर्शनीय स्‍थल देखने लायक है। ऋषिकेश बहुत ही मनोरम स्थान है। यहां हिमालय और गंगा के दर्शन करना बहुत ही अद्भुत अनुभव रहेगा। यहां पर आप बंजी जंपिंग भी कर सकते हैं। ऋषि केश से करीब 25 किलोमीटर दूर मोहनचट्टी में पेशेवर तरीके से बंजी जंपिंग कराई जाती है। जंपिंग हाइट्स नामक कंपनी द्वरा यहां पर जंपिंग कराई जाती है। मोहनचट्टी में भारत की सबसे ऊंची फिक्स्ड प्लेटफार्म वाला बंजी जंपिंग स्टेशन है। करीब 83 मीटर ऊंचा प्लेटफार्म है।
 
5. पुष्कर: राजस्थान के पुष्कर नाम प्राचीन स्थान को सबसे बड़ा तीर्थ स्थल माना जाता है। प्रयागजी को तीर्थराज और पुष्करजी को तीर्थ गुरु कहा गया है। पुष्करजी की महिमा पुराणों में मिलती है। पुष्कर को सभी तीर्थों का गुरु माना गया है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति चारधाम तीर्थयात्रा करता है और वह जब तक पुष्करजी में स्नान नहीं कर लेता तब तक उसकी यात्रा को अधूरा ही माना जाता है। पुस्करजी में स्नान करने से जातक के पापों का क्षय होता है और उसे जन्म-मरण के चक्र से छुटकारा मिलता है।
 
6. ओमकारेश्वर, महेश्‍वर और मंडलेश्वर: यदि आप मध्यप्रदेश के हैं तो ओंकारेश्वर, महेश्वर और मंडलेश्वर में नर्मदा स्नान करके भी स्नान का पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इंदौर के पास करीब 90 किलोमीटर दूर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का मंदिर नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। अन्य की अपेक्षा यहां की यात्रा के दौरान नदी और घाटों के नजारे कई गुना ज्यादा सुंदर दिखाई देते हैं। यात्रा के दौरान ऐतिहासिक घाटों, प्राकृतिक खूबसूरती को संजोए पर्वत, आश्रमों, डेम, बोटिंग आदि का लुत्फ भी लिया जा सकता है। ओंकारेश्वर के पास ही महारानी अहिल्याबाई की नगरी महेश्वर को देखना न भूलें। मंडलेश्वर भी पास में स्थित है।
 
7. त्र्यंबकेश्वर: महाराष्ट्र के नासिक पास त्र्यंबकेश्वर नामक स्थान पर गोदावरी नदी बहती है। यहां पर कुंभ मेले के आयोजन होता है। गोदावरी दक्षिण भारत की गंगा है। इसकी उत्पत्ति पश्चिमघाट की पर्वत श्रेणी के अंतर्गत त्रियम्बक पर्वत से हुई है, जो महाराष्ट्र में स्थित है। यहीं त्र्यम्बकेश्वर  तीर्थ है जो नासिक जिले में है। गौतम से संबंध जुड जाने के कारण इसे गौतमी भी कहा जाने लगा। यहां स्नान का वही पुण्‍य है जोकि प्रयाग में संगम पर गंगा स्नान का पुण्य मिलता है। ALSO READ: Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि के 5 खास अचूक उपाय, आजमाएंगे तो मिलेगा अपार लाभ

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