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महाकुंभ में महाशिवरात्रि के अंतिम अमृत स्नान में बन रहे हैं 5 शुभ योग, करें 5 कार्य, स्नान का मिलेगा दोगुना पुण्य

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WD Feature Desk

, शनिवार, 15 फ़रवरी 2025 (17:20 IST)
Prayagraj Kumbh Mela 2025: महाकुंभ में कुल 6 अमृत स्नान थे और अब महाशिवरात्रि के दिन का अंतिम अमृत स्नान बचा है जो 26 फरवरी 2025 बुधवार के दिन होगा। इस दिन 5 शुभ योग में होगा कुंभ मेला का महास्नान। स्नान के लिए शुभ मुहूर्त और 5 शुभ योग को जानकर आप कुंभ में गंगा नदी में स्नान करेंगे तो आपको 5 कार्य भी अवश्य करना चाहिए। इससे मिलेगा कुंभ स्नान का दोगुना फल।ALSO READ: पवित्र स्नान के लिए जाना था महाकुंभ, सड़कों पर था जाम, नाव से किया 248 किमी का सफर
 
महाशिवरात्रि पर 5 महासंयोग:- 
1. महाशिवरात्रि: इस दिन महाशिवरात्रि है जोकि अपने आप में ही एक बड़ा संयोग और शुभ दिन है।
2. अमृत काल: इस दिन सुबह 07:28 से 09:00 बजे तक अमृत काल रहेगा। ब्रह्म मुहूर्त का स्नान प्रात: 05:09 से 05:59 के बीच होगा।
3. श्रवण नक्षत्र: इस दिन चतुर्दशी, बुधवार और श्रवण नक्षत्र का योग संयोग भी है। चतुर्थी के देवता शिव, बुधवार के देवता गणेश और श्रवण नक्षत्र के देवता विष्णु हैं।
4. छत्र योग: इस दिन सबसे दुर्लभ शुभ योग छत्र योग रहेगा। यानी चतुर्थ से दशम भाव के बीच सभी ग्रह रहेंगे।
5. त्रिग्रही योग: इस दिन सूर्य, बुध और शनि का विशेष त्रिग्रही योग बनेगा। इस योग में बुधादित्य का योग सफलता और समृद्धि का प्रतीक है।ALSO READ: महाकुंभ में बनेंगे 4 वर्ल्ड रिकॉर्ड, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम पहुंची प्रयागराज
 
महाशिवरात्रि पर करें 5 शुभ कार्य: 
1. तर्पण: कुंभ स्नान करने के बाद पितरों के निमित्त तर्पण करने से पितृदोष से मुक्ति मिलेगी। 
2. दान: कुंभ स्नान के बाद यथाशक्ति ब्राह्मण या गरीबों को दान दक्षिणा दें। 
3. दीपक: सायंकाल के समय शिव मंदिर में दीया इस तरह जलाएं कि वह रातभर जलता रहे। इससे अपार धन-संपत्ति तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी।
4. पाठ: इस दिन शिव चालीसा, हनुमान चालीसा, विष्णु सहस्रनाम, पितृसूक्त या अथर्वशीर्ष का पाठ जरूर करें।
5. पूजा: शिवजी, चंद्रदेव, सूर्यदेव, विष्णुजी, लक्ष्मीजी, गणेशजी और माता पार्वती की पूजा विधिवत रूप से घाट पर ही करें। 
 
कैसे करें महाशिवरात्रि वाले दिन गंगा में स्नान?
-प्रात:काल प्रथम प्रहर में ही स्नान करना शुभ होता है। इससे प्रजापत्य का फल प्राप्त होता है।
-कुंभ में नदी स्नान में डुबकी लगाने से पूर्व तट से दूर स्नान करके शरीर को पवित्र कर लें। इसे मलापकर्षण स्नान कहा गया है। यह अमंत्रक होता है
-मलापकर्षण करने के बाद नदी को नमन करें और फिर जल में घुटनों तक उतरें।
-इसके बाद शिखा बांधकर दोनों हाथों में पवित्री पहनकर आचमन आदी से शुद्ध होकर दाहिने हाथ में जल लेकर शास्त्रानुसार संकल्प करें।
-स्नान से पूर्व पहले पवित्री अर्थात जनेऊ को स्नान कराएं। इसके बाद शिखा खोल दें।
-इसके बाद इस मंत्र को बोलें- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।
-इसके बाद  जल की ऊपरी सतह हटाकर, कान औए नाक बंद कर प्रवाह की और या सूर्य की और मुख करके जल में 5 डुबकी लगाएं। 
-डुबकी लगाने के बाद खड़े होकर जल से तर्पण करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें।
-इसके बाद जल से बाहर निकलकर शुद्ध वस्त्र पहनें और फिर पंचदेवों की पूजा करें।
-पूजा के बाद ब्राह्मणों या गरीबों को दान दें।

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