तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश वित्त वर्ष 2017-18 के आम बजट की मुख्य बातें :
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2.5 लाख से 5 लाख रुपए की सालाना आय पर कर की दर 10 से घटाकर 5 प्रतिशत की गई। कर स्लैब में बदलाव नहीं।
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50 लाख रुपए से 1 करोड़ रुपए सालाना कमाने वाले लोगों को देना होगा 10 प्रतिशत का अधिभार।
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1 करोड़ रुपए से अधिक की वार्षिक आय पर 15 प्रतिशत का अधिभार जारी रहेगा।
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3 लाख रुपए से अधिक के नकद लेन-देन पर प्रतिबंध।
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नोटबंदी साहसी, निर्णायक कदम। इससे जीडीपी वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा। कर संग्रहण बढ़ेगा।
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प्रत्यक्ष कर संग्रहण वृद्धि 15.8 प्रतिशत, अप्रत्यक्ष कर 8.3 प्रतिशत।
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वर्ष 2017-18 में सरकार का कुल व्यय 21.47 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान।
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पूंजीगत खर्च बढ़कर 24 प्रतिशत।
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राज्यों को आबंटन बढ़कर 4.11 लाख करोड़ रुपए।
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एफआरबीएम समिति ने 2020 तक 60 प्रतिशत ऋण-जीडीपी अनुपात का सुझाव दिया।
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खुदरा मुद्रास्फीति 2 से 6 प्रतिशत के दायरे में रहेगी।
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झारखंड और गुजरात में 2 नए एम्स का प्रस्ताव।
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फसल बीमा योजना फसल क्षेत्र का 40 प्रतिशत की गई।
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बुनियादी ढांचा निवेश 3.96 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान।
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सस्ते मकान क्षेत्र को बुनियादी ढांचा क्षेत्र का दर्जा।
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2,000 करोड़ रुपए के कोष से डेयरी प्रसंस्करण कोष बनेगा।
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प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आबंटन 15,000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 23,000 करोड़ रुपए।
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मई 2018 तक शत-प्रतिशत गांवों के विद्युतीकरण का लक्ष्य।
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अनुसूचित जनजाति के लिए 31,920 करोड़ रुपए, अल्पसंख्यक मामलों के लिए 4,195 करोड़ रुपए।
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सड़क क्षेत्र के लिए आबंटन बढ़ाकर 64,000 करोड़ रुपए किया गया।
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रेल, सड़क, जहाजरानी के लिए 2.41 लाख करोड़ रुपए का आबंटन।
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नई मेट्रो रेल नीति की घोषणा।
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वित्त वर्ष 2016-17 की पहली छमाही में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 35 प्रतिशत बढ़कर 1.45 लाख करोड़ रुपए पर।