3. प्रभु से शरण में लेने की प्रार्थना कीजिए-
प्रभु मेरे मन में आप निवास करें। आप मेरे आंतरिक मैल को स्वच्छ करके उसमें भक्ति का समावेश करें। हे दीनानाथ, मैं आपकी शरण में हूं। मुझ शरणागत की रक्षा करें। इस प्रकार निष्कपट भक्ति करने से प्रभु प्रसन्न होकर हर मनोरथ पूर्ण करेंगे। प्रभु की दया और रक्षा के भरोसे सच्चा मनुष्य संसार में सदा निर्भय और निर्लिप्त बना रहता है। प्रभु अपनी शरण में आए जीवों की रक्षा स्वयं करते हैं। प्रभु कहते है कि -