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हिंदू धार्मिक यात्रा पर ही क्यों बरसाई जाती हैं गोलियां?

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, मंगलवार, 11 जुलाई 2017 (01:03 IST)
सावन के पहले सोमवार को कश्मीर घाटी में खूनी खेल खेला गया, जिसमें गुजरात के वो सात बेकसूर  तीर्थयात्री आतंकियों की गोलियों के शिकार बने, जो बाबा अमरनाथ के दर्शन करने के बाद अपने घर  लौट रहे थे। इनका कोई कसूर नहीं था, वो तो पवित्र आस्था के साथ शिवजी के दर्शन करने गए थे  लेकिन बन गए उन दैत्यों के शिकार जिनका न तो कोई धर्म है और न जात...सबसे बड़ा सवाल यह  है कि हिंदू धार्मिक यात्रा पर ही क्यों बरसाई जाती हैं गोलियां? 
 
मोटर साइकल पर सवार होकर आए आतंकवादियों ने सोमवार की रात को आठ बजकर 20 मिनट पर दक्षिण  कश्मीर में श्रीनगर-जम्मू हाइवे पर पहले पुलिस दल पर घात लगाकर फायरिंग की और उसके बाद  अपनी एके47 बंदूक की नाल गुजरात के मेहसाणा की उस बस की तरफ मोड़ दी, जिसमें अमरनाथ  यात्री सवार थे। दो लोगों ने तो बस में ही दम तोड़ दिया, जबकि 5 की मौत अस्पताल जाते समय हो  गई। मरने वालों में पांच महिलाएं शामिल हैं।
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25 जून को अनंतनाग में तैनात एसएसपी ने पहले ही आगाह कर दिया था कि श्रीनगर-जम्मू हाइवे  पर आतंकी सक्रिय हैं और ये कभी भी हमला कर सकते हैं। इस आगाह को गंभीरता से क्यों नहीं  लिया गया? जाहिर है कि सुरक्षा में कहीं न कहीं चूक हुई है। हमला करने वालों को स्थानीय लोगों का  भी पूरा सपोर्ट मिला, इसीलिए वे घटना को अंजाम देने के बाद फरार हो गए। 
 
सोमवार को गुजरात की जिस बस पर गोलियां बरसाई गईं, वह जम्मू कश्मीर श्राइन बोर्ड में रजिस्टर्ड  नहीं थी। इस बस में कोई सुरक्षा नहीं थी। देर रात जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती का  बयान आया कि गुजरात की ये बस खराब हो गई थी इसीलिए सुरक्षा कानवाई बस के साथ नहीं था  और इसी का फायदा उठाते हुए उस पर घात लगाकर हमला किया गया। यह भी खोज का विषय है  कि जब रात में हाइवे पर सफर करने की मनाही है तो यह बस यहां तक कैसे पहुंच गई? 
 
बाबा बर्फानी के दर्शन कर लौट रहे जो सात लोग मारे गए हैं, इससे पर पूरा देश गुस्से में है। इस  कायराना हमले पर प्रधानमंत्री से लेकर तमाम राजनीतिक दल अपना दुख जताते हुए उसकी भर्त्सना  करते हुए अपने कर्तव्य की रस्म अदायगी कर रहे हैं। भाजपा को छोड़कर शेष सभी बड़े राजनेता  कश्मीर में सेना को फ्रीहैंड करने की वकालत कर रहे हैं। 
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आतंकी पिछले कई सालों से घाटी में खून की होली खेल रहे हैं। हमारी सेना पर पत्थर बरसाए जाते हैं  और जम्मू कश्मीर का मानवाधिकार आयोग पत्थरबाजों का पैरोकार बनकर उसके एक नुमाइंदे को 10  लाख रुपए देने की सिफारिश करता है...आखिर इन शैतानों के साथ इतनी हमदर्दी क्यों की जा रही  है? 
 
हर साल अमरनाथ यात्रा में लाखों लोग बाबा बर्फानी के दर्शन करने जाते हैं। इस साल अमरनाथ  श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए 1 लाख से ज्यादा जवान तैनात हैं। इसके बाद भी आतंकी अपने मंसूबे  में कामयाब हो गए। किसी हुर्रियत के जलसे में कभी कोई गोली नहीं चलती...हिंदू यात्राओं पर जाने  वाले लोगों की छातियां गोलियों से झलनी कर दी जाती हैं। आखिर कश्मीर घाटी और कितने हिंदुओं  की बलि लेगी? अब वक्त आ गया है, जब देश की सरकार को कश्मीर को लेकर बड़े फैसले करने  होंगे।  


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