कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में नमामि गंगे के तहत घाट सुंदरी कारण व गंगा सफाई अभियान चलाया जा रहा है। सफाई अभियान के तहत कोयला घाट स्थित गंगा तट पर सफाई के दैरान खुदाई करते समय प्राचीन अष्टधातु का शिवलिंग निकला।
इस जानकारी के बाद पुरातत्व विभाग अफसरों व श्रद्धालुओं की भीड़ जुट गई। पुरातत्व विभाग शिवलिंग के इतिहास का पता करने में जुट गए। जानकारी के अनुसार कानपुर में प्रदूषित गंगा को अविरल बनाने की कवायद तेजी से चल रही है, जिसमें ‘नमामि गंगे‘ योजना के तहत गंगा की सफाई का अभियान पिछले कई माह से चल रहा है।
अभियान के तहत सोमवार को देर रात कैंट स्थित कोयला घाट में कर्मचारी जेसीबी से गंगा की खुदाई कर रहे थे, तभी अचानक जेसीबी मशीन धसने लगी। इस दौरान 20 से 25 फिट नीचे से खट-खट की आवाज आई। आवाज आने पर खुदाई के दौरान मौजूद अफसरों पहले मशीन धंसने पर घबराए लेकिन फिर खजाना या कुछ ओर वस्तु होने की आशंका पर खुदाई जारी रखी।
थोड़ी ही देर में मशीन के साथ एक शिवलिंग दिखा। शिवलिंग में भगवान शिव की आकृति बनी हुई थी। मौके पर मौजूद अधिकारी भी शिवलिंग देखकर दंग रह गए। शिवलिंग का वजन काफी था जिसे उठाने के लिए पांच लोग लगे और उठाकर इसे बाहर लाए।
इसकी जानकारी जैसे ही लोगों को हुई तो वहां पर भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान स्थानीय लोगों ने पुजारी को बुलाकर लिंग को दूध से स्नान करने के बाद विधि-विधान से पूजा पाठ कराया। शिवलिंग की जानकारी मिलने के बाद पुरातत्व विभाग के अफसर भी पहुंचे। शुरुआती पड़ताल में अफसरों द्वारा शिवलिंग को अष्टधातु का होने की बात कहे रहे हैं।
इस शिवलिंग की विशेष बात यह है कि इस पर एक विशेष आकृति बनी है। अफसरों का कहना है कि यह शिवलिंग बहुत पुराना व प्रचीन प्रतीत हो रहा है। यह किस समय का है इसके लिए जांच की जा रही है। तो वहीं परमट मंदिर के महंत अजय पुरी ने बताया कि पहली बार गंगा के नीचे से भगवान शिव का लिंग निकलना किसी चमत्कार से कम नहीं।
शहर में दर्जनभर से अधिक प्रतिष्ठित मंदिरों में शिवलिंग विराजे हैं, पर इसके जैसी आकृति और किसी में नहीं है। पुजारी ने कहा, जहां शिवलिंग निकला है वहां पर भगवान शिव मंदिर का निर्माण कराकर शिवलिंग को स्थापित करवाया जाएगा।