इटावा। उत्तर प्रदेश के इटावा में यमुना नदी के तट पर मां काली के मंदिर में मान्यता है कि महाभारत का अमर पात्र अश्वत्थामा आज भी रोज सबसे पहले पूजा करता है। कालीवाहन नामक यह मंदिर इटावा मुख्यालय से मात्र पांच किलोमीटर दूर यमुना के किनारे स्थित है । नवरात्रि पर इस मंदिर का खासा महत्व हो जाता है। दूरदराज से श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ति के इरादे से यहां पहुंचते हैं।
मंदिर के मुख्य मंहत राधेश्याम दुबे ने कहा से कहा कि वह करीब 35 साल से इस मंदिर की सेवा कर रहे है । रात में रोजाना मंदिर को धोकर साफ कर दिया जाता है। तडके जब गर्भगृह खोला जाता है उस समय मंदिर के भीतर ताजे फूल मिलते है जिससे साबित होता है कि कोई मंदिर में आकर पूजा करता है। कहा जाता है कि महाभारत के अमर पात्र अश्वत्थामा मंदिर मे पूजा करने के लिए आते है।
मंदिर की महत्ता के बारे मे कर्मक्षेत्र स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय के इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र शर्मा का कहना है कि इतिहास में कोई भी घटना तब तक प्रामाणिक नहीं मानी जा सकती जब तक कि उसके पक्ष में पुरातात्विक, साहित्यिक तथा ऐतिहासिक साक्ष्य उपलब्ध न हो जाएं। उन्होंने कहा कि यद्यपि महाभारत ऐतिहासिक ग्रन्थ है लेकिन उसके पात्र अश्वत्थामा के इटावा में काली मंदिर में आकर पूजा करने का कोई प्रत्यक्ष ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
कभी चंबल के खूंखार डाकुओं की आस्था का केंद्र रहे तथा महाभारतकालीन सभ्यता से जुडे इस मंदिर से डाकुओं से इतना लगाव रहा है कि वे अपने गिरोह के साथ आकर पूजा-अर्चना करने में पुलिस की चौकसी के बावजूद कामयाब हुए। इस बात की पुष्टि मंदिर में डाकुओं के नाम के घंटे और झंडे के रूप में की जा सकती है।