मुम्बई। उत्तर प्रदेश के अयोध्या से बचपन में लापता हुई 25 वर्षीय एक महिला को 14 वर्षों बाद अपना परिवार मिला। यह महिला बचपन में लापता हो गई थी और मुम्बई पहुंच गई थी। पूजा सुबोध वर्मा नवी मुम्बई के एक अनाथालय में पली बढ़ी। पिछले कुछ वर्षों से वह अपने अभिभावकों को खोजने का प्रयास कर रही थी।
वर्ष 2003 में वह अयोध्या रेलवे स्टेशन पर खेलते समय गलती से मुम्बई जाने वाली ट्रेन में सवार हो गई। मुम्बई पहुंचने के बाद पुलिस ने उसे देखा और नेरूल में अनाथालय भेज दिया। उसका एक स्कूल में दाखिला कराया गया। पूजा ने वर्ष 2009 में नेरूल में रहने वाले एक दंपति नितिन और सुनीता गायकवाड़ के यहां घरेलू सहायिका का काम शुरू किया।
नितिन ने बताया कि पूजा को अपने अभिभावकों के नाम सुबोध, मीरा और भाई आलोक के नाम याद आए। उसे याद आया कि उसका घर सरयू नदी और राम मंदिर के निकट अयोध्या में है और उसके पिता की फूल-माला और ऑडियो कैसेट्स की एक दुकान है। इन जानकारियों के आधार पर नितिन और स्थानीय कार्यकर्ता गिरिश पाटिल ने उत्तर प्रदेश पुलिस से संपर्क करके अयोध्या में पूजा के अभिभावकों की तलाश शुरू की।
इसके बाद उन्होंने लखनऊ में आतंकवाद निरोधक दस्ते के संतोष तिवारी से संपर्क किया। अभिभावकों को तलाशा जा रहा था कि इसी दौरान पूजा ने इस महीने की शुरूआत में खुद ही अयोध्या की यात्रा करने का निर्णय लिया। पांच नवम्बर को अयोध्या पहुंचने पर पूजा ने सरयू के किनारों के आसपास के इलाकों में तलाश शुरू की और कुछ ही घंटों बाद उसने नया घाट में अपने मकान और परिवार का पता लगा लिया।
इससे गदगद पूजा ने गायकवाड़ और पाटिल को फोन करके अपने अभिभावकों के मिलने के बारे में सूचित किया। पूजा के पिता सुबोध ने कहा, ‘यह मेरे जीवन का सबसे खुशी का पल है। मुझे अपनी बेटी वापस मिल गई। मुझे अब भगवान से और कुछ नहीं चाहिए।’ (भाषा)