समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य आजम खान शुक्रवार को अंतरिम जमानत पर जेल से रिहा होकर अपने घर रामपुर पहुंच गए हैं। आजम खान अपने परिवार से 814 दिन दूर रहे और यह दिन उन्होंने सीतापुर जेल में बिताए। रामपुर आने की सूचना पर उनके समर्थक सुबह से ही घर पर जुट गए, आजम के स्वागत के लिए इलाके में साफ-सफाई करके चूने से वेलकम लिखा गया।
अपने घर पहुंचे आजम खान ने समर्थकों का हाथ हिलाकर अभिवादन करते हुए संबोधित किया और बोले कि उनके परिवार के साथ जो-जो जुल्म हुए उन्हें भूल नहीं सकते हैं। मेरा 40 साल का सफर बेकार नहीं जाएगा, शहर उजाड़ दिया, वक्त फिर लौटकर आएगा।
आवास पर लगा मीडिया का जमावड़ा : घर पहुंचे आजम खान थके और बीमार नजर आए। आजम खान के रामपुर स्थित आवास पर मीडिया का जमावड़ा लगा हुआ था। इस दौरान मीडिया द्वारा पूछे गए ज्ञानवापी मामले के सवाल पर जवाब में खान ने कहा कि बाबरी और ज्ञानवापी की सुनवाई में काफी अंतर है। बाबरी मस्जिद में लंबे समय सुनवाई हुई, लोकल कोर्ट में मामला लंबा चला, कई सालों बाद फैसला आया था।
ज्ञानवापी मस्जिद पर मुकदमों की स्पीड लोकल कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चंद दिनों में पूरी हो गई है। इस स्टेज पर किसी को भी किसी किस्म की राय इसलिए नहीं देना चाहिए, क्योंकि उससे मुल्क का माहौल भी खराब होगा और इंसाफ पर से लोगों का भरोसा उठ जाएगा।
बेबाक अंदाज में दिए जवाब : आजम खान मीडिया के हर सवाल पर अपने बेबाक अंदाज में जवाब देते रहे, लेकिन सवाल जब अखिलेश यादव को लेकर पूछा गया तो वे टालमटोल करते दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि जो उनसे जेल में मिलने आया था, उसका भी शुक्रिया और जो जेल में मुलाकात करने नहीं आए उनका भी शुक्रिया।
आजम खान ने मीडिया से मुखातिब होते हुए सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट को शुक्रिया कहा। जमानत को लेकर आजम खान ने कहा कि जज साहब ने कहा है कि जिस व्यक्ति के खिलाफ साक्ष्य नहीं हैं, उसे जेल में क्यों बंद कर रखा है। जेल में कैसे सुबह होती और रात होती, फिर सुबह का इंतजार रहता।
सीतापुर जेल के अंदर उनको सजायाफ्ता कैदी की तरह रखा गया। इस दौरान उनके लफ्जों से दर्द झलका और बिना किसी का नाम लिए बोले कि सबसे ज्यादा जुल्म तो मेरे अपनों ने किया है। आजम के इस बयान को सीधे तौर पर सियासत से जोड़कर देखा जा रहा है।
आजम खान ने बताया कि वो तकलीफ में हैं, स्वास्थ्य भी अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा कि छात्र जीवन के दौरान भी वे जेल गए थे और जीवन के अंतिम पड़ाव में भी जेल गए हैं। आजम बोले कि हमारा मिशन कभी राजनीतिक नहीं रहा। 40 साल के सियासी सफर में कभी कोई गलत काम नहीं किया। हमने अपना शहर कैसे बसाया था, कोई भी देख सकता है। सिर्फ हमारा बुनियादी मकसद था लोगों की सेवा करना है।
माफियाओं की लिस्ट में था पहला नाम : जेल में रहते हुए मुझे माफिया घोषित कर दिया। माफियाओं की लिस्ट में पहला नाम मेरा था, दूसरे नंबर पर मुख्तार अंसारी और तीसरे नंबर पर अतीक अहमद का नाम था। मेरे ऊपर सबसे पहले आठ केस दर्ज हुए, सभी मामलों में वादी पक्ष ने केस वापस ले लिए। मैंने कभी किसी की जमीन नहीं हड़पी, जो जमीन ली उसकी कीमत अदा की है। उन्होंने कहा कि मैं मुल्क-जमीन और जमीर बेचने वाला शख्स नहीं हूं, जेल के अंदर रहकर मोबाइल चलाना भी भूल गया हूं।
काफिले को रोकने पर गुस्से में नजर आए समर्थक : रामपुर पहुंचे सपा विधायक आजम खां के काफिले को पुलिस ने शहजादनगर थाना क्षेत्र में रामपुर नगर व बायपास पर लगभग आधे घंटे के लिए रोक लिया। पुलिस का तर्क था कि काफिले में काफी गाड़ियां हैं, जिसके चलते शहर का मार्ग बाधित होगा। जुमे की नमाज और स्कूल की छुट्टी का समय होने के कारण यातायात बाधित हो सकता है। काफिले में करीब 30 गाड़ियां हैं, जो जाम की समस्या पैदा कर देंगी।
काफिले को रोकने पर आजम के समर्थक गुस्से में नजर आए, पुलिस से कहासुनी भी हुई। नाराज समर्थक पुलिस की सुनने को तैयार नहीं थे। इसके बाद आजम खान और अब्दुल्ला आजम को हस्तक्षेप करना पड़ा और आजम खान बोले, क्यों परेशान किया जा रहा है। बाद में आजम के काफिले को 5 गाड़ियों के साथ उनके घर जाने दिया गया।